उत्तराखंड

दो राजधानी का विचार है अव्यवहारिक -किशोर, अगर सरकार ईमानदार तो भरालीसैंण की करे घोषणा

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Dehradun उत्तराखंड  कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने राज्य में दो राजधानी के विचार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को ग्रीष्मक़ालीन राजधानी बनाये जाने के विचार को दासता से ग्रस्त मानसिकता करार दिया है। उपाध्याय ने राज्य आन्दोलन की भावना के अनुसार उत्तराखंड की पर्वतीय क्षेत्र में राजधानी बनाने की मांग बुलंद की है।

उपाध्याय ने उत्तराखंड सरीखे एक छोटे प्रदेश में दो-दो राजधानी की अवधारणा पर सवाल खड़े करते हुए उसे अव्यवहारिक बताया है।  उन्होंने प्रेस को जारी बयान में कहा कि एक-आध दिन का विधान सभा सत्र भराड़ीसैण में आहूत कर राज्य का भला  होने वाला नहीं हैै। यदि उत्तराखंड सरकार की मंशा में खोट नहीं है तो वह भराड़ीसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी घोषित करे और हमें  “ग़ैरसैंण” के बजाय भराड़ीसैंण कहना चाहिये।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि अगर राज्य में दो राजधानी ही बननी हैं, तो फिर भराड़ीसैंण ग्रीष्मक़ालीन के बजाय शीतकालीन राजधानी क्यों नहीं होनी चाहिए? उन्होंने कहा कि अंग्रेज गर्मी सहन न करने के कारण गर्मियों में मसूरी, नैनीताल, शिमला या कश्मीर चले जाते थे। तो क्या आज के हुक्मरान भी उसी मानसिकता से ग्रस्त नहीं हैं?

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