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अब उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ‘विधायकों की खरीद फरोख्त’ से जुड़े कथित स्टिंग मामले की अगली सुनवाई 1 मई को होगी। दरअसल, सीबीआई के अधिवक्ता शुक्रवार को सुनवाई के दौरान नैनीताल हाईकोर्ट में कोर्ट में पेश नहीं हुए। जिसके बाद जस्टिस सुधांशू धुलिया की एकलपीठ ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध पर सुुनवाई स्थगित करते हुए अगली तारीख नियत की है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रहते हरीश रावत के खिलाफ कांग्रेस के विधायकों ने 2016 में बगाबत की थी। रावत का अपनी अल्पमत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद फरोख्त करते एक कथित स्टिंग आपरेशन सामने आया था। जिसकी रोशनी में केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था।
उस दौरान तत्कालीन राज्यपाल की सिफारिश पर 31 मार्च 2016 को सीबीआई ने जांच शुरू कर दी। फिर उसने उत्तराखंड उच्च न्यायालय से हरीश रावत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की अनुमति मांगी। रावत ने सीबीआई जांच के आदेश को निरस्त करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कांग्रेस की सरकार बहाल होने के बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत की गैरमौजूदगी में हुई कैबिनेट बैठक में सीबीआई से हटाकर एसआईटी को जांच का जिम्मा देने का फैसला लिया गया। जिसे तत्कालीन अपदस्थ मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी।
दिलचस्प बात ये है इस मामले में मौजूदा त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में हरक सिंह रावत और विधायक उमेश शर्मा के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। ये दोनों नेता 2016 में हरीश रावत सरकार के खिलाफ बगावत करने वालों में शुमार थे और फिलहाल भाजपा में हैं।
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