Bhopal
मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार विश्वास प्रस्ताव नहीं लाई है। स्पीकर ने 26 मार्च तक विधानसभा की स्थगित कर दी है। जिससे मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट गहरा गया है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान समेत अन्य विधायकों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफों के बाद शुरू हुआ राज्य का सियासी संकट सुलझता नजर नहीं आ रहा है। कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार राज्यपाल के निर्देशों के मुताबिक सदन में विश्वास प्रस्ताव नहीं लाई। स्पीकर ने राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण के बाद विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित कर दी है।
जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भाजपा विधायकों को बसों में भरकर राज्यपाल से मिलने पहुंच गए। जहां उन्होंने विधायकों की परेड करा 106 विधायकों के समर्थन का खत सौंपा। राज्यपाल ने विधायकों के अधिकारों के संरक्षण का भरोसा दिलाया।
विधानसभा कार्यवाही के लिए 16 मार्च के एजेंडे से ही तय हो गया था कि कमलनाथ सरकार विश्वा प्रस्ताव नहीं लाएगी। जिसमें सिर्फ राज्यपाल लालजी टंडन के सदन में अभिभाषण और उस पर धन्यवाद प्रस्ताव का ज़िक्र था। सरकार के विधायी एजेंडे में सदन में विश्वास प्रस्ताव पेश करना शामिल ही नहीं था।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा की कार्यवाही से पहले ही राज्यपाल को 6 पन्नों का खत लिखकर ना सिर्फ विश्वास प्रस्ताव नहीं लाने के कारण बताए बल्कि टण्डन की निष्ठा पर बिंदुवार सवाल खड़े करते हुए उन्हें संवैधानिक धाराओं और उनकी व्याख्या के साथ आईना दिखाया। मुख्यमंत्री नेे कहा कि भाजपा की कैद से विधायकों की मुक्ति बगैर सदन में विश्वास प्रस्ताव लाना अलोकतांत्रिक होगा।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान एवं अन्य 9 विधायको ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है। जिससे साफ है कि अब मध्यप्रदेश का राजनीतिक संकट कोर्ट की दखल से ही सुलझेगा। लेकिन इस बीच अल्पमय मे नजर आ रही कमलनाथ सरकार को बहुमत जुटाने जा भी मौका मिल गया है।
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