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MP: तो अब सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा विश्वास प्रस्ताव का मुहूर्त! सुप्रीम कोर्ट का स्पीकर समेत अन्य पक्षों को नोटिस, राज्यपाल के दूसरे आदेश पर नहीं आया विश्वास प्रस्ताव

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New Delhi/Bhopal

  • तो अब सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा विश्वास प्रस्ताव का मुहूर्त
  • कांग्रेस के बागी विधायक बोले ‘हम हैं सिंधिया के साथ’
  • मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार पर संकट है बरकरार

उच्चतम न्यायालय (SC)ने  मध्यप्रदेश में जारी सियासी संकट पर राज्यपाल ऑफिस और स्पीकर को नोटिस जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किए। कांग्रेस सरकार ने राज्यपाल के बहुमत परीक्षण के दूसरे आदेश को भी दरकिनार कर दिया है। जिससे साफ है कोर्ट के आदेश आने तक राज्य सरकार विधानसभा सभा मे विश्वास प्रस्ताव नहीं लाएगी।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को खत लिखा था। जिसमें टंडन ने राज्य सरकार को अल्पमत बताते हुए आदेश दिया गया कि 16 मार्च को मेरे अभिभाषण के बाद विश्वास प्रस्ताव लाया जाए। लेकिन स्पीकर प्रजापति ने ऐसा ना करके ‘कोरोना’ वायरस के मद्देनजर 26 मार्च तक विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी। जिससे मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट गहरा गया।

जिसके फौरन बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने 106 विधायकों की राजभवन में राज्यपाल के सामने परेड कराने में देर नहीं लगाई। साथ ही उन्होंने कुछेक अन्य विधायकों के साथ फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मंगलवार को स्पीकर समेत अन्य सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिए। अब SC मध्यप्रदेश के सियासी संकट पर बुधवार सुबह साढ़े दस बजे सुनवाई करेगा।

कैसे शुरू हुआ कमलनाथ सरकार का संकट:

ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद उनके समर्थक 22 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए। जिसके चलते कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है। सिंधिया समर्थक इस्तीफे देने वाले विधायकों ने प्रेस कांफ्रेंस करके दोहराया कि  महाराज के साथ हैं और साथ रहेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि ‘कांग्रेस सरकार बहुमत खो चुकी है। इसलिए कमलनाथ विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाने और उसका सामना करने में अनाकानी करने में लगे हैं। इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट में जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट कराने की मांग को लेकर याचिकाएं दायर की हैं। भाजपा के पास 107 विधायक हैं और पूरा बहुमत है। अब मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार का गिरना तय है’।

क्या कहते हैं CM कमलनाथ:

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गवर्नर के सरकार को अल्पमत में बताकर फ्लोर टेस्ट आदेश को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने दोहराया कि भाजपा की कैद से अपनी पार्टी के विधायकों की मुक्ति के बाद वह बहुमत साबित करेंगे। CM कमलनाथ ने शिवराज के आरोपों पर कहा कि भाजपा क्यूं नहीं अविश्वास प्रस्ताव लाती। मेरी सरकार के पास बहुमत है जब स्पीकर आदेश करेंगे हम साबित कर देंगे।

मध्यप्रदेश विधानसभा का संख्या गणित:

इस वक्त 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा सभा में 2 सीटें खाली हैं। कांग्रेस 22 MLA ने सदस्यता से इस्तीफे दिए जिनमें 6 स्वीकार हो गए हैं। सदन की मौजूदा सदस्य संख्या 222 में बहुमत का आंकड़ा 112 है।

सत्ताधारी कांग्रेस के 114 और विपक्षी भाजपा के 107 विधायक हैं। कमलनाथ की सरकार को 4 निर्दलीय, 2 BSP और एक SP विधायक का समर्थन प्राप्त है। लेकिन सिंधिया समर्थक 22 विधायकों के इस्तीफों के बाद उसकी संख्या सिर्फ 92 बची है।

मध्यप्रदेश के स्पीकर ने कांग्रेस के 6 बागी MLA के तो इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं, लेकिन बाकी 16 पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया। इस तरह कमलनाथ सरकार के पास बहुमत का पूरा आंकड़ा नहीं है। उधर, भाजपा के पास भी बहुमत के आंकड़े से 5 विधायक कम हैं।

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