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उत्तराखंड: ‘कोरोना’ वायरस ने ‘गैरसैंण’ से पीछा छुड़वाया, अब बाकी बजट सत्र भराड़ीसैंण नहीं देहरादून में होगा

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लेखक जाने माने टेलीविजन पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। वह पिछले दो दशकों के दौरान विभिन्न चैनलों में कार्यरत रहे। उन्होंने etv में संवाददाता, समाचार प्लस में डिप्टी ब्यूरो चीफ, न्यूज़ 18 में स्पेशल कोरेस्पोंडेंट और हिंदी खबर में संपादक के रूप में कार्य किया।
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लेखक जाने माने टेलीविजन पत्रकार एवं स्तंभकार हैं। वह पिछले दो दशकों के दौरान विभिन्न चैनलों में कार्यरत रहे। उन्होंने etv में संवाददाता, समाचार प्लस में डिप्टी ब्यूरो चीफ, न्यूज़ 18 में स्पेशल कोरेस्पोंडेंट और हिंदी खबर में संपादक के रूप में कार्य किया।

Rahul Singh Shekhawat

देश और दुनिया में ‘कोरोना’ वायरस के फैलाव रोकने को रोकने के लिए सामाजिक दूरी को तरजीह दी जा रही है। लेकिन दिलचस्प बात ये है इसके खौफ ने ‘ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण’ को फिर अपनी सरकार और विपक्ष से दूर कर दिया है। दरअसल, विधानसभा सभा के बजट सत्र के बाकी बचे 3 दिनों के लिए सदन ‘भराड़ीसैंण’ की बजाय देहरादून में चलेगा। इस निर्णय में ना सिर्फ उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार बल्कि विपक्षी पार्टी ‘कांग्रेस’ की सहमति भी शामिल है।

पता नहीं गैरसैंण की किस्मत खराब है या फिर उत्तराखंड सरकार और विपक्ष की किस्मत अच्छी।  वजह चाहे जो हो लेकिन लगता है दोनों को ही मानो मन मांगी मुरादें ही पूरी हो गई है। दरअसल, अब उत्तराखंड के बजट सत्र की बाकी कार्यवाही गैरसैंण के भराड़ीसैण विधानभवन में ना होकर देहरादून विधानसभा में होगी। देश और दुनिया में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर कथित एहतियात बरतते हुए ये फैसला लिया गया है। जिसमें ना सिर्फ त्रिवेंद्र सिंह रावत की भाजपा सरकार बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष की भी सहमति है।

खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी सरकार के 3 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में इसका खुलासा किया। उन्होंने कहा कि ‘कोरोना’ के मद्देनजर नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने बाकी अवधि के लिए सदन भराड़ीसैण की बजाय देहरादून में चलाने में सहमति जताई है। उन्होंने इस पर कोई टिप्पणी नहीं कि सत्र पूर्व निर्धारित कार्यक्रम 25 से 28 मार्च को ही चलेगा अथवा उसमें भी हालात के मद्देनजर कोई बदलाव मुमकिन है अथवा नहीं।

हालांकि, खुले तौर पर कोई नहीं कहेगा लेकिन मंत्री और विधायकों के बड़े तबके ने राहत जरूर महसूस की होगी। वजह ये कि उन्हें भराड़ीसैंण ने आए दिन बदल रहे मौसम और सुविधाओं की कमी से होने वाली परेशानियों से निजात मिल गयी है। कहने की जरुरत नहीं है कि चाहे जो जितना दिखावा करेें लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष गैरसैंण से बचते रहे हैं। खुद नेेता प्रतिपक्ष ने पिछले साल कहा था कि सदन में शीशे नहीं हैं जिससे उन्हें ठंड लग गई थी।हालांकि ये भी एकदम सही है कि अभी वहां बाजिब सहूलियतें मुहैया नहीं हो पाई हैं।

मौजूदा सत्र में भी बर्फबारी के बाद आलम ये था कि सदन स्थगित होने वाले दिन बमुश्किल एक-दो मंत्री और गिनती के विधायक ही भराड़ीसैंण में टिके थे। जिसके चलते सरकार जैसे-तैसे कोरम पूरा करा पाई। हालांकि खुद विधानसभा के अध्यक्ष, विपक्षी खेमे के विधायक और मीडियाकर्मी जरूर बर्फबारी का लुत्फ उठाते हुए देखे गए।

गौरतलब है कि उत्तराखंड का बजट सत्र भराड़ीसैंण विधान भवन में बीते 3 से 7 मार्च के लिए आहूत हुआ था। लेकिन,  विपक्ष ने सरकार पर सत्र की अवधि बढ़ाने के लिए दबाव डाला। जिसके बाद स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने सरकार की सहमति से सत्र की अवधि बढ़ाई थी। उन्होंने होली के मद्देनजर 7 मार्च को विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करने के बाद फिर से 25 से  27 मार्च की अवधि में सदन चलाना  सुनिश्चित किया था।

चूंकि देश और दुनिया के साथ उत्तराखंड सरकार ने भी इसे महामारी घोषित किया है। लिहाजा सबके स्वास्थ्य के मद्देनजर सावधानी बरतनी भी जरूरी है। लेकिन ये भी सच है कि कोरोना वायरस के प्रकोप ने ‘गैरसैंण’ को एक बार फिर अपनी सरकार और विपक्ष से दूर कर दिया है।

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