Bhopal
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही एक पखवाड़े से जारी सियासी संकट पटाक्षेप की तरफ बढ़ गया है। इसके पहले उन्होंने प्रेस को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा शुरू से ही कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने पर उतारू थी।
आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को त्यागपत्र सौंप ही दिया। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार की विदाई और भाजपा की बनने का रास्ता साफ हो गया है। उन्होंने राजभवन जाने से पहले अपने आवास पर कहा कि उनके पास बहुमत नहीं है इसलिए मैं इस्तीफा देने जा रहा हूं।
कमलनाथ ने कहा कि भाजपा के 15 साल के मुकाबले उन्हें सिर्फ 15 महीने का कार्यकाल मिला। जिसमें कांग्रेस सरकार ने किसानों के ऋण माफी समेत कई अन्य अहम फैसले लिए। लेकिन भाजपा शुरू से मेरी सरकार को अस्थिर करने में लगी हुई थी। इस कड़ी में कांग्रेस के विधायकों से संपर्क नहीं हो पाया।
कमलनाथ ने कहा कि मैंने अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में मूल्यों पर आधारित राजनीति नहीं की। इसलिए लेनदेन की बजाय मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया। उन्होंने कहा बतौर मुख्यमंत्री जनहित जो फैसले लिए जा सकते थे हमने लिए।
गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक 22 विधायकों के अपनी सदस्यता से इस्तीफे देने के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी। जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह कांग्रेस ने बागी विधायकों से बातचीत करने की कोशिशें की, लेकिन सफल नहीं हो पाए।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत अन्य 9 विधायकों ने फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की। जिन पर सुनवाई के बाद SC ने 20 मार्च शाम 5 बजे तक कांग्रेस सरकार को विधानसभा में बहुमत हासिल करने का आदेश दिया था।
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