Akhilesh Dimri
समझिए, महसूस कीजिये इस साहस को और हो सके तो सैल्यूट भी कीजिये इस तस्वीर को, ये तस्वीर उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत महिला सब इंस्पेक्टर शाहिदा परवीन की हैं, शाहिदा मुनि की रेती थाने में कार्यरत हैं।
आज याने 5 अप्रेल को शाहिदा का निकाह तय था , लेकिन शाहिदा ने कोरोना वाइरस के चलते उपजे संकट के समय में कर्तव्य को महत्वपूर्ण मानते हुए निकाह को स्थगित किया और राज्य के लिए अपने कर्तव्यों के पालन हेतु डटी हुई हैं।
कुछ दिन पहले ऐसा ही एक और चित्र उत्तराखंड पुलिस में कार्यरत लोकेंद्र बहुगुणा का भी सामने था जो थोड़ी सी फुर्सत निकाल कर अपने बच्चों से मिलने गए थे और घर पर दूर से ही अपने बच्चों को देख कर कार्य पर लौट आये क्योंकि पास जाने से कोरोना वाइरस संक्रमण का अंदेशा था।
यकीन मानिए तमाम बातों के बीच शाहिदा परवीन , लोकेंद्र बहुगुणा और तमाम लोग ही राष्ट्रवाद की धारणा के सबसे मजबूत प्रतीक स्थापित करते है , यही वो चेहरे हैं जिनकी कर्तव्यपरायणता से इस देश के करोड़ो लोगों के जेहन में इकबाल के लिखे कौमी तराने की वो पंक्तिया ” कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन दौर ए जहाँ हमारा ” कभी अमिट नहीं हो सकती।
शहीदा परवीन का हृदय की गहराइयों से आभार , हमारे चिकित्सको के साथ साथ सम्पूर्ण उत्तराखंड पुलिस का भी आभार कि इस समय सूबे की आवाम को सच में मित्र पुलिस की अवधारणा निसन्देह सत्य होती दिखाई दी है, सूबे की अवाम आपके इस मानवीयता के आचरण से भी भली भांति परिचित हुई है।
अगर खबरों का कोई इतिहास कभी पुलिस पर लिखा जा रहा होगा तो इतिहास के इस कालखंड में पुलिस की दंडात्मक शैली का यदि वर्णन होगा भी तो प्रशंशा का ही पात्र होगा और शाहिदा परवीन , लोकेंद्र बहुगुणा जैसे कर्तव्यनिष्ठ लोग नायको की भूमिका में लिपिबद्ध होंगे।
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