Narayan Bareth
वो सिरफिरा है, मगर जब भी वो कशीदे पड़ता है, हम अभिभूत हो जाते हैैं। जब वो कुछ अनचाहा बोल देता है ,नस्ले उदास हो जाती हैैं। डोनाल्ड ट्रम्प तुम्हे बधाई हो! जिस मुल्क में उसके 47 फीसद लोग अपने राष्ट्रपति को जेहनी तौर पर अस्थिर बता रहे हो, उसे लेकर भारत में दो दिन से लोग बहस में उलझे हुए है। सर्वे में 47 प्रतिशत लोगों ने उसे जन भाषा में कहे तो मेन्टल कहा है। ट्रम्प खुद ट्वीट कर यह सफाई देते घूमे कि वो मेन्टल नहीं है। लेकिन अमेरिका से बहुत दूर भारत में लोग उसके मुरीद है।
ट्रम्प के जीवनी लेखक डेविड केय जोह्न्स्टन कहते है ‘ ट्रम्प हमेशा ही अस्थिर मति के रहे है। उन्हें लगता है वो अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया को चला रहे है। ट्रम्प को लगता है बाकि सभी मुर्ख है। मैं शुरू से कह रहा हूँ ये दुनिया के लिए एक आफत है।
ट्रम्प के कार्यकाल पर लेखक माइकल वुल्फ ने अपनी किताब Fire and Furry में ट्रम्प की खूब मजाक उड़ाई है। लेखक कहते उसके आसपास काम करने वाले ही उसे अनफिट मानते है।बॉब वुडवॉर्ड नामी पत्रकार है। उनकी किताब Fear भी ट्रम्प को ऐसे ही चित्रित किया गया है। किताब के मुताबिक ये आदमी इस काम के लायक नहीं है।
अमेरिकन अख़बार वाशिंगटन पोस्ट अख़बार के मुताबिक ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के पहले तीन साल में 16421 झूठे दावे किये। अभी हाल में कोरोना को लेकर उसके बयानों पर भी या तो हंसी उड़ रही या लोगो में खीझ है।वैनिटी फेयर में लीस लेविन ने लिखा ‘ जब भी ट्रम्प मुँह खोलते है ,नो झूठ बाहर आ जाती है। लेकिन भारत में उनके एक एक शब्द पर लोग लटू है। अगर तारीफ में बोल दे तो झूम उठते है। कहने लगते है अमेरिका में भारत को पहली बार इतना सम्मान मिला है।
पर क्या यह गलत है 1961 में पंडित नेहरू जब अमेरिका गए। एंड्रू एयरफोर्स बेस पर अगवानी करने केनेडी तामझाम के साथ खुद पहुंचे थे। क्या यह सही नहीं है 1949 नेहरू का स्वागत करने राष्ट्रपति ट्रूमैन वाशिंगटन एयर पोर्ट पर खुद आये थे। फिर इंदिरा गाँधी अमेरिका गई तब निक्सन बहुत बेरुखी से पेश आये।उनके हित सर्वोपरि है। इसलिए कैसी ख़ुशी कैसा गम ! अगर तौहीन की है तो पूरे भारत की है। सम्मान है तो समूचे देश का है।
पिछले कुछ सालो में प्रधान मंत्री को बीजेपी या कांग्रेस की नजर से देखने की प्रवृति बढ़ी है। पर जब भारत का प्रधान मंत्री किसी देश में जाता है तो वो महज एक देश का नहीं 130 करोड़ लोगो का नुमाइंदा होता है। संसार उसे पांच हजार साल पुरानी सभ्यता के प्रतिनिधि के रूप में देखता है। जिसमे बहुजन हिताय बहुजन सुखाय समाहित है। पर ट्रम्प के लिए इन चीजों का कोई मतलब नहीं है।
इन सबके बीच अमेरिका में जाने माने लेखक अच् अल मेंकिन्स आज जिन्दा होते तो ट्रम्प को देख कर बहुत खुश होते। दशकों पहले उन्होंने कहा था ‘ There is going to come a time when the people decide and pick one of the most man they possibly can वो वक्त जल्द ही आयेगा जब लोग सबसे ज्यादा भोंदू को चुन लेंगे। ट्रम्प ने उन्हें निराश नहीं किया।
ट्रम्प तो ट्रम्प है। पिछले साल लंदन में नाटो देशों की बैठक में फ्रैंक के राष्ट्रपति मैक्रॉन और कनाडा के पी अम जस्टिन ट्रम्प की मखौल उड़ा रहे थे। यह ऑन कैमरा आ गया। अमेरिका में लोगो ने ध्यान नहीं दिया। पर कॉमेडियंस की भोंहे तन गई।मशहूर कॉमेडियन जिमी किमेल [Jimmy Kimmel ] बहुत खफा हुए। जिमी ने कहा हमारे हास्यास्पद राष्ट्रपति की मखौल उड़ाने की उनकी हिम्मत कैसे हो गई। फिर हम क्या करेंगे ?
कॉमेडी सेंट्रल शो में Trevor Noah ने कहा ‘ महामहिम आपको ऐसे स्थान पर नहीं होना चाहिए था जहाँ लोग आपकी पीठ पीछे मजाक उड़ाए। आप अभी एयर फाॅर्स के विमान से अमेरिका लोट आइये। यह काम हम आपके मुँह पर करेंगे। भारत को तुरंत ट्रम्प की चाहत पर मलेरिया की दवा तुरंत भेजनी चाहिए। पर इसके साथ साथ आयुर्वेद की शंख पुष्पी भी।
(नारायण बारेठ वरिष्ठ पत्रकार हैं और बहुत लंबे समय तक राजस्थान में BBC की हिंदी सेवा से जुड़े रहे। इस आलेख में उनके निजी विचार हैं।)
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