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Maharashtra: कोरोना पर राहुल गांधी के सुझावों पर फिदा शिवसेना- अपने मुखपृष्ठ में ‘कांग्रेस का चिंतन शिविर’ कहा

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News Front Live, Mumbai

कोरोना वायरस के संकट पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के सुझावों पर शिवसेना फिदा हो गई है। जिसे पार्टी के ‘सामना’ में  संपादकीय में  तारीफ करते हुए ‘राहुल गांधी का चिंतन शिविर’ शीर्षक दिया गया। पार्टी के मुखपत्र ने लिखा कि कांग्रेस नेता ने एक जिम्मेदार विपक्षी नेता की भूमिका निभाई है। इतना ही नहीं, सामना ने  लॉकडाउन के बाद के हालात पर दिए सुझावों पर लिखा की गांधी के विचार देश में जाने चाहिए।

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने अभी हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना की स्थिति और लॉकडाउन को लेकर पत्रकारों से बातचीत की थी। जिसमें उन्होंने कहा था इस आपदा से एकजुटता के साथ निपटने के लिए तमाम असहमतियों के बावजूद प्रधानमंत्री के साथ हूं। उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन एक पॉस बटन है।

जिसे हटाने के बाद इसे कोरोना पर विजय के रूप में ना देखा जाए। कांग्रेस सांसद ने देश मे कोरोना की जांच का दायरा बढ़ाने पर जोर दिया। ताकि वास्तविक स्थिति सामने आने के बाद उसे प्रभावी तरीके से रोका जा सके। उन्होंने कहा था कि जांच और समुचित इलाज में तेजी लाए बिना संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण करना ना सिर्फ मुश्किल होगा बल्कि आगे भी खतरा बरकरार रहेगा।

राहुल के इस स्टैंड से शिवसेना इस कदर गदगद हुई कि उसने पार्टी के मुखपत्र सामना में उनकी पत्रकार वार्ता पर ‘कांग्रेस का चिंतन शिविर’ नामक एक संपादकीय लिखा है। जिसमें उसे एक देश के एक जिम्मेदार विपक्षी नेता के तौर पर सराहा गया। इतना ही नहीं सामना ने लिखा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गांधी के विचारों को देश में पहुंचने चाहिए।

सामना ने लिखा कि राहुल गांधी ने कोरोना के संकट के समय जिम्मेदारी के साथ अपने अच्छे सुझाव मीडिया के सामने रखकर एक उत्कृष्ट विपक्ष के राष्ट्रीय नेता की भूमिका निभाई है। उन्होंने कोरोना के चलते देश और आम आदमी के सामने संकट वो सारी बातें पत्रकार वार्ता में  रखीं, जिनका प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर जवाब नहीं दिया।

गौरतलब है कि शिवसेना महाराष्ट्र में कांग्रेस और NCP के साथ मिलकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार चला रही है। उसका गांधी पर कभी नरम तो कभी गरम वाला रुख रहा है। मसलन सामना में सावरकर मामले में राहुल को कठघरे में खड़ा किया गया। लेकिन देश की अर्थव्यवस्था पर लगातार प्रधानमंत्री से सवाल पूछने पर तारीफ की गई। और अब कोरोना संकट में राहुल गांधी के स्टैंड पर संपादकीय लिखकर सराहा गया है।

 

 

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