Rahul Singh Shekhawat
अगर कोई आपसे पूछे कि कुदरत खुद को निहारना चाहेगी तो क्या करेगी? मेरा ख्याल है वो ऊपर से नैनीताल शहर को झांककर इतराएगी। बेशक मेरा इस शहर से दिल का अटूट रिश्ता है। वैसे उस जगह कुछ ऐसी खासियत है जो शायद आपको कहीं और नजर आए।
नैनीझील किनारे नयनामंदिर, उसकी बगल में गुरुद्वारा और ठीक सामने जामा मस्जिद। एशिया का सबसे पुराना मैथोडिस्ट चर्च भी मंदिर से बमुश्किल 100 मीटर के फासले पर ही है। जैसा सरोवरनगरी का आंतरिक धार्मिक नक्शा है। उसी के अनुरूप नैनीताल देश में फैली आपसी कटुता से आज भी अमूमन अछूता है।
कोरोना के मद्देनजर देश में सामाजिक रिश्तों की नई परिभाषा तय करने की कशमकश में है। ना जाने क्यूं उस जानलेवा वायरस से लड़ाई के साथ आपस में दूर हो रहे हैं। लेकिन ‘आजाद मंच’ नैनीताल के उत्साही नौजवानों पाक रमजान को लेकर एक नई पहल की है। उन्होंने एक बेहतरीन वीडियो बनाकर एक पैगाम दिया है।
केंद्र सरकार ने वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंस कायम रखने के लिए गाइड लाइन जारी की हैं। सभी सार्वजनिक धार्मिक स्थल भी इसके दायरे में आते हैं। जिसे रमजान के दौरान कायम रखने के लिए करीब एक दर्जन जिम्मेदार मुस्लिम नौजवानों ने वीडियो के जरिए बखूबी और बेहतरीन तरीके से समझाने की कोशिश की है। जिसमें अपील है कि इस वक्त समाज पर कोरोना नाम की महामारी का बड़ा खतरा है।
वीडियो की शुरुआत में एक मुस्कराता हुआ एक युवा कहता है कि रमजान आ रहे हैं, आपको उसकी फिक्र है ना। फिर दूसरा कहता है कि मैं तो घर में रहकर ही खुदा की इबादत करूंगा। आगे युवक बताता है कि घर में रहकर कैसे तराबी पढ़ी जा सकती है। फिर कोई दूसरा कहता है कि कोरोना से लड़ने के सोशल डिस्टेंस जरूरी है। इसी तरह एक अन्य कहता है कि हालात के हिसाब से मुल्क की बेहतरी के लिए इबादत के तौर तरीक़े बदलने जरूरी हैं।
और इस वीडियो आखिर में एक युवा कहता नजर आता है कि ‘इंसानियत जीतेगी और कोरोना हारेगा’। जो इस बात की तस्दीक करता है कि समाज में एकजुटता की उम्मीदें जिंदा है। अगर कहीं तालीम की कमी से मजहबी जड़ता की हालत बनी है। तो उसी समाज के तालीमयाफ्ता लोग उसे दूर करने आगे आएंगे।
इस मौके पर नैनीताल के मशहूर रंगकर्मी जहूर आलम भी जिक्र करना जरूरी है। जो कई दशकों से इस शहर में युगमंच होली महोत्सव का आयोजन करते आ रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि अगर नारों से इतर कौमी एकता की जिंदा मिसाल देखनी है तो यकीनन खूबसूरत नैनीताल से दूसरा कोई शहर नहीं हो सकता। बहरहाल, पाक रमज़ान महीने में जिम्मेदार शहरियों की ये मुहिम ना सिर्फ नायाब बल्कि काबिल ए तारीफ है।
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