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ऋषि कपूर: बेशक कपूर कालजयी एक्टर नहीं थे, लेकिन निरंतरता के तो सदाबहार ‘ऋषि’ थे!

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Rahul Singh Shekhawat

जब अपन का चैतन्य काल शुरू हुआ तो अमिताभ बच्चन  की दीवानगी शुरू हो गई थी। उनकी फ़िल्म के मोहपाश में किसी एक फ़िल्म में ऋषि कपूर को लभाव में देख लिया। मैं कोशिश कर रहा हूं लेकिन याद नहीं आ रहा कि इस कड़ी की पहली फ़िल्म कौन सी थी। अलबत्ता  ये ध्यान है कि  ‘अमर अकबर एंथोनी’,  ‘नसीब’ या फिर ‘कुली’ में से ही कोई एक फ़िल्म रही होगी। हां ये जरूर याद है की ताऊजी के साथ राजस्थान में सवाईमाधोपुर सिटी के भवानी टाकीज में देखी थी।

सच कहूं तो ऋषि कपूर को देखकर कोई बहुत ‘फीलगुड’ तो नहीं हुआ। उसी बीच कभी दूरदर्शन पर बुधवार और शुक्रवार को प्रसारित होने वाले ‘चित्रहार’ कार्यक्रम में ‘मेरी उमर के नौजवानों…’ गाना देखा। ऐसी ही कभी ‘हम तुम एक कमरे में बंद हों और चाबी खो जाए……..’,  मैं शायर तो नहीं… या ‘तुमने कभी किसी से प्यार किया है’ सरीखे  गाने देखेे या फिर रेडियो पर सुने होंगे।

मजेदार बात ये है कि बंदा तब भी समझ में नहीं आया  लेकिन ये सच है कि उन गाने ने थ्रिल जरूर पैदा किया। उन्हें बार-बार देखना या सुनना अच्छा लगता था। चूंकि फिल्में देखने का शौक था तो ऋषि कपूर को देख लिया करते थे। एक सवाल हमेशा मन आता रहा कि यार ऋषि कपूर का मतलब क्या है। वजह ये कि ऐसी कोई खास एक्टिंग भी नहीं थी। सिर्फ यही कि राज कपूर का बेटा है सो पिताजी ने एक विरासती प्लेटफॉर्म दे दिया।

लेकिन आज जब मुंबई में ऋषि कपूर के निधन की खबर सुनी तो पीछे मुड़कर सोचा। खुद ब खुद उस सवाल के जवाब मिलते नजर आए। हर दौर में ऐसी कौन सी मशहूर हीरोइन है जिसके साथ ऋषि कपूर ने फिल्मों में कदम रखने के बाद काम नहीं किया। वो चाहे उम्र में उनसे बड़ी और छोटी रही हों। ऋषि ने दोनों तरह की अभिनेत्रियों के साथ जमकर ठुमके लगाए। वैसे भी अपवाद छोड़कर उनके समकालीन अभिनेताओं का डांस में हाथ तंग रहा।

ऋषि कपूर ने डिंपल कपाड़िया के साथ फ़िल्म ‘बॉबी’ में डेब्यू किया था। उसके बाद नीतू सिंह, रीना रॉय, जीनत अमान, परवीन बॉबी, पद्मिनी कोल्हापुरे, रति अग्निहोत्री, पूूूनम ढिल्लों, मीनाक्षी शेषाद्री, जयप्रदा, श्रीदेवी, नीलम, जूही चावला, माधुरी दीक्षित और उर्मिला मातोंडकर सरीखी हर दौर की नायिका के वह हीरो बने।

पृथ्वीराज कपूर के खानदान में तीसरी पीढ़ी के इस वारिस ने 1973 में डिंपल कपाड़िया के साथ ब्लॉक बर्स्टर ‘बॉबी’ फ़िल्म से डेब्यू किया था। फिर ऋषि कपूर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। यादों की बारात, प्रेम रोग, कर्ज, लैला मजनू, नमस्ते लंदन, हिना, चांदनी, मुल्क, मंटो और अमिताभ बच्चन के साथ अमर अकबर एंथोनी, नसीब एवं कुली समेत कई दर्जन फिल्मों में काम किया।

वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस जानलेवा साबित हो रहा है। लेकिन लगता है कि भारतीय फ़िल्म इंडस्ट्री पर कैंसर भारी पड़ रहा है। एक दिन पहले ही इरफान खान की मौत हुई। और अब फ़िल्म अभिनेता ऋषि कपूर का  निधन हो गया है। मैं ऋषि बारे में सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि वो सदाबहार थे और उनमें निरंतरता थी।

ऋषि कपूर ने अपने आखिर ट्वीट में सामाजिक सद्भाव के लिए हिंसा, लिंचिंग और पत्थरबाजी नहीं करने की अपील हुए एकजुटता के साथ कोरोना जंग जीतने की बात कही थी। बहरहाल कपूर की जीवटता, कबूलनामा और सामाजिक मुद्दों पर बेफट बोलने का अंदाज उन्हें फिल्मी दुनिया में अपने किस्म का एक अलग ‘ऋषि’ तो बना ही देता है।

 

(Photo: साभार-स्क्रीनशॉट)

 

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