Himanshu Joshi, Pithoragarh
मैं भी गुड़गांव से पिथौरागढ़ पहुंचे लोगों में शामिल था। मैं पिछले 50 दिनों से गुरुग्राम में फंसा था। सरकार के फैसले से काफी खुश हुआ। मुझे लगा था कि सोशल डिस्टेंस बनाते हुए सीधे अपने पिथौरागढ़ पहुचाया जाएगा। जैसा कि गाइडलाइन में भी लिखा हुआ था। हरियाणा प्रशासन ने सभी नियम को लागू करके बिना किसी को परेशान किए अपना काम बखूबी किया जो काबिले तारीफ है।
लेकिन जब बसों में यात्रियों को ठूस-ठूस कर भरा गया तब ही प्रशासन की मंशा पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। हमें लगा कि चलो सीधे पिथौरागढ़ पहुँचाया जाएगा। लेकिन स्क्रीनिंग और मेडिकल जांच के नाम पर सभी को हल्द्वानी गौलापार स्टेडियम ले जाया गया। रात भर लाइन में खड़ा कर सभी को परेशान किया गया। एक ही जगह हजारो की भीड़ को नियमों के खिलाफ रख दिया गया।
जब मैंने विरोध किया तो वहां पर उपस्थित हिमांशु नामक एक ट्रेनी SDM ने मुझे केस में अंदर डालने की धमकी दी। साथ ही मेरे ऊपर उन्होने लाठियां बरसाई, वहां पर किसी भी अधिकारी के पास कोई प्लान नही था। सब अपने अपने हिसाब से अलग अलग निर्णय ले रहे थे। जब इस बारे में मैंने बात करनी चाही तो ये सब हुआ। इतने गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से मैं काफी हताश हुआ।
भूख प्यास तो दूर की बात थी यहां पर उन्होंने सबकी जान के साथ खिलवाड़ किया। अगर हजारो की भीड़ में कोई भी संक्रमित व्यक्ति हुआ तो आप अंदाजा लगा सकते हैं। बसों को जगह जगह रुकवा कर यात्रियों को परेशान किया गया लेकिन किसी के पास कोई जवाब नही था। जब मैंने पिथौरागढ़ में पुलिस के उच्चाधिकारियों से बात करनी चाही, तो उन्होंने भी मुझे जेल में डालने की धमकी देकर चुप रहने को बोल दिया। इस तरह अपनी जिम्मेदारियों पर पर्दा डाल दिया। अब ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं जिनका जवाब प्रशासन को देना होगा।
1.क्या बस के यात्रियों को हल्द्वानी ले जाना उचित था? उन्हें रात भर लाइन में खड़ा कर मेडिकल जांच के नाम पर औपचारिकता की गई। जबकि नाम पता आप पिथौरागढ़ में भी लिख सकते थे।
2.आपका आपसी तालमेल बिल्कुल नही था। आपके पास गुरुग्राम से सवारियों की पूरी लिस्ट थी। जिससे आप सीधे बसों को पिथौरागढ़ ला सकते थे। समय के साथ -साथ सावधानी भी रहती और यात्रियों को परेशानी नहीं होती।ऐसा आपने क्यों नहीं किया?
3. हजारो लोगों की जान के साथ आपने खिलवाड़ करने का जिम्मेदार कौन है?
4. यह महामारी का दौर है लेकिन आपके पास कोई गाइडलाइन नहीं थी। आपने हजारों लोगो के इंतजाम के नाम पर अपनी मनमानी करके खानापूर्ति की। जब आप भीड़ ही नहीं सम्भाल पाए आपसे क्या उम्मीद करी जा सकती है?
(यह लेखक की अपनी आपबीती है)
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