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Uttarakhand: ग्राम प्रधान ने ‘क्वारन्टीन खर्च’ पर मंत्री मदन कौशिक को दिखाया आईना!

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Chandrashekhar Panuily,

कोविड 19 के बढ़ते संक्रमण के बीच लॉकडाउन के तृतीय चरण में प्रवासियों का गॉव आगमन जारी है। जिनको शासन प्रशासन और सरकार के दिशानिर्देश के मुताबिक  ग्राम प्रधान क्वारन्टीन कर रहे हैं। गांव में सबसे मुश्किल काम होता है अपनो को अपने ही गांव या घर पहुंचने पर अपनो से अलग रहने को कहना। फिर भी ग्राम प्रधान पूरी शिद्दत से लगे हैं।

इस बीच एक चैनल पर उत्तराखंड सरकार के मंत्री और शासकीय प्रवक्ता  मदन कौशिक का एक व्यक्तव्य आता है कि उन्होंने प्रवासियों के भोजन के लिए बजट प्रधानों को दे दिया है और कहीं कोई दिक्कत नही है। जबकि सच्चाई ये है कि ग्राम प्रधानों को अभी तक इस तरह का कोई बजट मिला ही नही है। हां इतना जरूर पूर्व में कहा गया था कि ग्राम प्रधान संस्थागत क्वारन्टीन रहने वाले लोगों के खाने की व्यवस्था करेंगे। उस पर जो व्यय होगा उसका विवरण अपने जिले के जिलाधिकारी जी को देना है।

लेकिन माननीय कौशिक साहब का कहना कि प्रधानों को पैसा दे दिया है। ये बात लोगों में भरम पैदा करने वाली है और इससे गांव में अशांति फैल सकती है। कौशिक जी कह रहे हैं कि प्रधान अकेले नहीं हैैं हर जगह ग्राम पंचायत विकास अधिकारी है। जबकि धरातल की वास्तविकता कुछ और है। आदरणीय कौशिक जी जरा जमीनी हकीकत को जरूर जानिए।

हमारी सरकार ने पहले तो बिना सोचे समझे ग्राम प्रधानों को क्वारन्टीन की बड़ी जिम्मेदारी दे डाली। जबकि होना ये चाहिए था कि हर ब्लॉक में एक क्वारन्टीन सेंटर बनता। प्रवासी बन्धु अपने गांव से थोड़ी दूर अपने ही ब्लॉक में 14 दिनों तक उस क्वारन्टीन सेंटर में रहते। जहां नियमित जांच भी होती और उसके बाद अपने घर जाते। लेकिन यहां गांव में पहुंचे प्रवासियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए अभी तक कोई टीम नही आई है, जो सोचनीय है।फिर भी प्रधान गांव पहुंचे लोगों को क्वारन्टीन करा ही रहे हैं।

लेकिन ये कहना कि प्रधानों को बजट दे दिया है, इससे हर किसी को एक बड़ा भ्रम होगा। लोग प्रधानों पर शक करेंगे कि कहीं उन्होंने इस तरह के बजट को सच में खा तो नहीं लिया। इसी तरह की एक झूठी खबर मास्क और सेनेटाइजर को लेकर भी उड़ी कि प्रधानों को उसके पैसे मिले। जबकि सच्चाई ये है कि मास्क, सेनेटाइजर के कोई भी पैसे अभी तक हमे नहीं मिले हैं। चूंकि पूर्व में वो एक वाइरल खबर थी और किसी सामान्य व्यक्ति के द्वारा ऐसा दुष्प्रचार किया गया था। लेकिन अब प्रवासियों के भोजन व्यवस्था के लिए बजट देने की बात का दुष्प्रचार सरकार के एक बड़े मंत्री जो कि शासकीय प्रवक्ता कर रहे हैं।

जिससे स्वाभाविक है कि हर गांव में उसका असर पड़ेगा जो कि प्रधानों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। आदरणीय कौशिक साहब आपकी यदि आगे कोई योजना प्रधानों को सीधा फंड देने की है तो वो अलग बात हो सकती है। लेकिन ये कहना कि दे दिया है पैसा इसमें कोई सच्चाई नही है। हम ऐसी बातों और बयानों का पुरजोर विरोध करते हैं। यदि किसी जिले या ब्लॉक में सच में ऐसा कोई पैसा सीधा प्रधानों को दिया तो उनका विवरण जरूर आपको सर्वजनिक करना चाहिए।

आदरणीय मंत्री जी आप 4 बार से लगातार विधायक, पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के साथ मौजूदा मंत्री हैं। इसलिए आपकी बातों में आपके बयानों में हम सच्चाई और स्पष्टता की उम्मीद करते हैं। लेकिन महोदय आपके इस वक्तव्य से हमे बड़ा दुख हुआ कि प्रधानों को प्रवासियों के भोजन व्यवस्था हेतु पैसा दिया गया है। कौशिक जी ग्राम प्रधान एक प्रतिनिधि या गॉव के एक सेवक के रूप में कार्य कर रहे हैं, इस महासंकट में अपनी तरफ से पूरी कोशिशों में लगे हैं, कई तरह की परेशानियों से जूझ रहै हैं।

इन सबके बावजूद आपका वक्तव्य हतोत्साहित करने वाला है। इस समय प्रधानों को कोरोना योद्धाओं की तरह जीवन बीमा देकर हौसलाअफजाई करना चाहिए थी। लेकिन आपके बयान ना सिर्फ प्रधानों को हतोत्साहित कर रहे बल्कि आमजन में भी प्रधानों को एक शक के दायरे में ला रहे हैं। शासकीय प्रवक्ता कौशिक जी को इस बयान का खंडन करते हुए प्रधानों को सरकार की तरफ से पूर्ण सहायता देना चाहिए क्योंकि हर प्रधान इस कोरोना के महासंकट में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

(लेखक टिहरी गढ़वाल जिले के लिखवार ग्राम पंचायत के प्रधान हैं। उनकी फेसबुक पोस्ट को साभार प्रकाशित किया गया है)

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