उत्तराखंड

Uttarakhand: त्रिवेंद्र ने कहां कम किया ‘ओम’ का ‘प्रकाश’? कोरोना से लड़ाई में नितेश झा की कोताही की सजा अधूरी!

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Rahul Singh Shekhawat

वैसे तो किसी भी राज्य में IAS के महकमों में फेरबदल होना एक सामान्य बात है। लेकिन उत्तराखंड शासन में तैनात 2 अफसरों की चर्चा है। अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश से PWD और नितेश झा से स्वास्थ्य विभाग हट गया। गौरतलब है कि ये दोनों विभाग मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के पास हैं।

लिहाजा अटकलें लगाई जा रही हैं कि दोनों के पर कतरे गए हैं। तर्क ये हैं कि ओम को सरकार के लिए फजीहत का सबब बने लॉक डाउन में  UP के विधायक को पास देने प्रकरण की सजा मिली। वहीं  कोरोना संकट काल में केबिन से बाहर नहीं निकलने से नाराज सरकार ने झा को स्वास्थ्य महकमे से बेदखल किया।
ये सच है कि शासन में तैनात इन दोनों रसूखदार अफसरों से भारीभरकम महकमों से पैदल हुए हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि कथित तौर पर ओमप्रकाश को न सिर्फ त्रिवेंद्र का करीबी बल्कि  ‘हमराज’ भी कहा जाता है। PWD विभाग हटने के बावजूद वह अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के ओहदे पर बरकरार हैं।
उत्तराखंड सरकार 50 दिन से ज्यादा लॉक डाउन गुजरने के बाद भी प्रवासियों के बॉर्डर पर समुचित क्वारन्टीन करने का इंतजाम करने में नाकाम है।आलम ये है कि कैबिनेट ने इस निकम्मेपन की हाईकोर्ट में गुहार लगाने का निर्णय लेने को मजबूर हुई। लाख टके का सवाल ये है कि संक्रमण फैलने की आशंका के लिए जिम्मेदार नितेश झा हैं या फिर बतौर स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर खुद त्रिवेंद्र!
नितेश झा से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तो हटा लिया गया। लेकिन वह गृह सरीखे सबसे अहम महकमे के सर्वेसर्वा बने हैं। सूबे में अपवाद छोड़कर प्रमुख सचिव स्तर का अधिकारी इस विभाग का संभालता रहा है। कई सीनियर IAS की उपलब्धता रहते नितेश को शासन में पुलिस विभाग का मुखिया किस आधार पर बना दिया गया।
सिर्फ झा का ही रसूख़ बुलंद नहीं है बल्कि उनकी पत्नी राधिका झा भी CM सचिवालय में सचिव के तौर पर तैनात हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि इन दोनों ही अफसरों की कार्यशैली पर विपक्ष से ज्यादा खुद भाजपाई सवाल उठाते रहे हैं। लेकिन इन अफसरों का जलवा बदस्तूर जिंदाबाद रहा।
पिछले दिनों योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता संस्कारों का हवाला देते हुए, ओमप्रकाश ने लॉक डाउन के दौरान  UP के विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड में पास जारी करने के लिए खत लिखा था। जिसके चलते व्यक्तिगत तौर पर त्रिवेंद्र की फजीहत हुई।
इस कड़ी में योगी की पुलिस ने विधायक को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत पर अपने ‘डार्लिंग’ ऑफिसर पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ा इस रोशनी में लोग ओमप्रकाश और नितेश झा से एक अदद विभाग हटने को उनके पर कतरने के तौर ओर देख रहे हैं। जबकि ऐसा मानने की कोई पुख्ता वजह तो नहीं दिखती।
इसमें तो उल्टे फेससेविंग ज्यादा नजर आती है। वजह ये है कुछेक महीनों के बाद मौजूदा मुख्य सचिव रिटायर होने वाले हैं। जिस पर ओमप्रकाश की ताजपोशी की प्रबल संभावना है। वजह ये है कि त्रिवेंद्र की मुख्यमंत्री बनने के बाद नहीं बल्कि पहले से निर्भरता किसी से छुपी नहीं है।
इन हालात में मुमकिन है ओमप्रकाश को फिलहाल हल्का दिखाना एक रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है। ताकि मुख्यसचिव के ओहदे पर ताजपोशी का मौका आने तक ‘विधायक पास प्रकरण’ या अन्य विवाद थम जाए। सनद रहे कि मुख्यमंत्री की ओमप्रकाश पर निर्भरता थी है और रहेगी। लिहाजा किसी को मुगालते में नहीं रहना चाहिए।

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