उत्तराखंड

Uttarakhand: नैनीताल जिले में क्वारन्टीन परिवार में एक बच्ची की सांप के कांटने से मौत, मुकदमा दर्ज

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Akhilesh Dimri

नैनीताल जिले के विकासखंड बेतालघाट के तल्ला सेठी गाँव में शासन प्रशासन के गैरजिम्मेदाराना रवैये से उतपन्न कुव्यवस्थाओं के चलते सांप के काटने से चार वर्षीय बच्ची की मौत हो गई। सनद रहे कि ये वही सूबा है जहां कोरोना महामारी के चलते लाकडाउन को लगभग 60 दिवस हो गए हैं। हम प्रवासियों के लिए उनके अपने ही प्रदेश में रहने खाने के समुचित प्रबन्ध नही कर पाए हैं।

सरकारी अमला संसाधनविहीन गांवों में ग्राम प्रधानों के जिम्मे सब कुछ छोड़ बस कंडक्टर ड्राइवर की भूमिका अदा करने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रहा है। आज की यह घटना महज कोई दुर्घटना नहीं बल्कि इस सूबे के व्यवस्थागत अमले के जिम्मेदारी न ले सकने की इंतहा है।अधिकारियों की कार्यशैली के बाबत आने वाली खबरें इस बात की तस्दीक करती हैं कि आरामपसंद अमला काम न करने की कसम खाये बैठा है।

आपको बता दें कि कल ही एक अधिकारी की किसी ग्रामप्रधान से हुई टेलीफोनिक वार्ता का ऑडियो क्लिप वायरल हुआ था। जिसमें अधिकारी महोदय 40 से 50 किलोमीटर दूर गांव के प्रधान से कह रहे थे कि तुम्हारे गाँव के लोगों को तहसील में क्वारन्टीन कर देंगे। तुम उनके लिए बिस्तर भिजवा दो। ये प्रधान जी से हर रोज खाना लाने के लिए भी कह दें तो आश्चर्य मत कीजियेगा।

इस सूबे की व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी महज चिट्ठी लिखने भर तक की है जो ये प्रधान जी को लिख कर दे चुके हैं…! इन व्यवस्थाओं गाँव के हालातों का शायद ही पता है कि वहां व्यवस्थाएं हैं भी या नहीं…? जो पैसा इनके मंत्री ग्राम प्रधानों के खाते में दे चुकने का दावा कर रहे थे उसकी सच्चाई भी अब सबके सामने आ ही गयी है।

बेतालघाट के तल्ला सेठी गाँव में साँप के काटने से हुई बच्ची की मौत दरअसल सूबे में सिस्टम की जिम्मेदारियों की भी अकाल मृत्यु है। मुमकिन है बेतालघाट की इस हृदयविदारक घटना पर भी व्यवस्थाएं लीपापोती कर दी जाए। सवाल ये उठता है कि व्यवस्थाएं क्यों इस कदर गैरजिम्मेदार थी कि एक बच्ची को अकाल मृत्यु का शिकार होना पड़ा ….?

उधर सरकारी विज्ञप्ति में सूचना दी गई है कि नैनीताल के जिलाधिकारी के निर्देश पर सम्बंधित ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और एक शिक्षक के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम और गैर इरादतन हत्या समेत अन्य धाराओं में मुकदमा कायम किया गया है।

(इस आलेख में लेखक के निजी विचार हैं और उनकी जानकारी पर आधारित है)

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