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Lucknow: बेमिसाल मुजीबुल्लाह! बुजुर्ग ‘कुली’ चारबाग में प्रवासियों का मुफ्त ढ़ो रहे हैं समान

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Madhu Garg, Lucknow

एक अखबार में आज फोटो के साथ एक खबर छपी थी कि एक 80 वर्षीय कुली मुजीबुल्लाह चारबाग लखनऊ रेलवे स्टेशन पर बिना पैसे लिए प्रवासी मजदूरों का सामान ढ़ो रहे हैं । मैं और डेजी प्रवासियों के बीच कुछ राहत वितरण हेतु गये थे तो नजरें स्टेशन पर उन्हें तलाशती रहीं और “जहां चाह वहां राह” की तर्ज पर हमारी उनसे मुलाकात हो ही गई ।

उस समय वे एक ठेले पर सामान लेकर बाहर निकल रहे थे। भैय्या पैसा नहीं चाहिए .. तुम सब खुद इतनी तकलीफ़ में हो । हमें लग रहा था कि हम किसी फ़रिश्ते से मिल रहे हैं । 1970 से वे चारबाग लखनऊ स्टेशन पर कुली का काम कर रहे हैं । अपने पेशे पर इतना गर्व तो कम ही देखने को मिलता है ।

वह गुलजारनगर अपनी बेटी के साथ रहते हैं और 6 किमी पैदल चलकर स्टेशन आते हैं मजदूरों की मदद के लिए । उम्र फिर से सुन लीजिए 80 साल पर उनका कहना था कि इससे ज्यादा ही है । जब चारबाग स्टेशन पर कोई कुली नहीं दिख रहे हैं तो मुजीबुर्रहमान केवल मदद करने स्टेशन आते हैं । केवल इतना ही नहीं .. जब उन्होंने हमसे बात करनी शुरू की तो लगा कि हम किसी सूफीसंत से मिल रहे हैं ।

वो सूफी का कौल हो , या पंडित का ज्ञान
जितनी बीती आप पर बस उतना ही जान ।
कबीर के दोहे सुनाते वे कई बार फक्कड़ संत लगे । जीवन का ऐसा खूबसूरत दर्शन उस मामूली से दिख रहे इंसान ने बताया कि बरबस ही सलाम निकल जाये।कुरान,  गीता का दर्शन उन्होंने पांच मिनट में समझा दिया जो उनके अनुसार एक इंसान का दूसरे इंसान से बस प्यार है ।

आठवीं कक्षा पास इस फ़रिश्ते के लिए ही शायद #कबीर कह गये थे ।
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ..

(साभार: लेखक की फेसबुक पोस्ट)

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