उत्तराखंड

Uttarakhand: विधायक भत्तों में 30 फीसदी कटौती पर कैबिनेट की मुहर, सरकारी मुलाजिमों का नहीं कटेगा भत्ता, एक दिन का वेतन कोविड फंड में जमा करेंगे

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News Front Live, Dehradun

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक हुई। जिसके बाद शासकीय प्रवक्ता शहर विकास मंत्री मदन कौशिक ने ब्रीफिंग करके निर्णयों की जानकारी दी।

ये हैं उत्तराखंड कैबिनेट के फैसले

1- Covid-19 के मद्देनजर कैबिनेट में जोन परिवर्तन पर गम्भीर चर्चा।

2- सरकारी कर्मचारियों के नहीं कटेंगे वेतन भत्ते, मुख्य सचिव से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी वित्तीय वर्ष के बाकी महीनों में एक दिन का वेतन कोविड-19 फंड में जमा कराएंगे।

3-  सभी विधायकों का 30 फ़ीसदी भत्ते सरकार की ओर से काटने का निर्णय लिया गया। सभी दायित्व धारियों का 5 दिन का वेतन हर महीने मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराया जाएगा।

4- मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी विकास योजना को मिली हरी झंडी।

5- उत्तराखंड कैबिनेट का फैसला क्वॉरेंटाइन होने वाले सभी राज्य कर्मचारियों को देना होगा क्वॉरेंटाइन का पूरा ब्यौरा उसके बाद ही मिलेगा 28 दिन का भुगतान।

6-  जीएमवीएन के सभी खनिज पट्टो की नीलामी का समय एक साल से बढ़ा कर 5 साल किया गया। टेंडर प्रक्रिया में कोई भी आवेदक के नहीं आने पर जीएमबीएन स्वयं पट्टो का संचालन करेगा।

7- कोविड-19 में इस्तेमाल होने वाले राजकीय मेडिकल कॉलेज के निदेशक को 1करोड़ रुपए खर्च करने का दिया वितीयअधिकार।

8- श्रम सुधार अधिनियम 1926 में किया आंशिक संशोधन। किसी भी उद्योग में यूनियन बनाने के लिए तीस फीसदी कर्मचारियों को मिलेगी अनुमति। एक ही यूनियन होगी मान्य।

9- रजिस्टरी की नकल लेने के लिए डिजिटलाइजेशन का होगा इस्तेमाल।2 रुपये प्रति पृष्ठ और अधिकतम 100 रु।

10- स्वास्थ्य विभाग में नियुक्तियों के लिए 3 महीने का समय पहले निर्धारित किया गया था जिसको बढ़ाकर 1 साल किया गया।

11- मेगा इंडस्ट्रियल नीति 2015 में किया आंशिक संशोधन।31 मार्च2020 से 2020 जून तक बढ़ाया गया।

12- तेरह करोड़ 40 लाख से बनने वाले उत्तरकाशी में कोल्ड स्टोरेज को मंडी परिषद को दी अनुमति।

13- जिला योजना की बैठक नहीं होने पर राज्य सरकार लाई अध्यादेश। जिला अधिकारी प्रभारी मंत्रियों के अनुमोदन के बाद जिला योजना में होने वाले खर्च को कर सकेंगे।

14- पंचायत राज अधिनियम में किया आंशिक संशोधन अध्यादेश के जरिए सरकार ने लिया फैसला। जहां ग्राम प्रधान, ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित नहीं हो पाए, वहां 6 महीने के लिए प्रतिनिधि को नामित किया जाएगा।

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