News Front Live, Dehradun
कोरोना संक्रमितों का क्वारन्टीन और आइसोलेट होने तो बात आम है। लेकिन उत्तराखंड देश का पहला सूबा होना चाहिए जहां सरकार ही क्वारन्टीन में चली गई। दरअसल, कोरोना पॉजिटिव रहते राज्य के वरिष्ठतम मंत्री सतपाल महाराज ने कैबिनेट बैठक में शिरकत की।
जिसके मद्देनजर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उस बैठक में मौजूद रहे मंत्री और शासन के आला आईएएस एहतियात के तौर पर होम क्वारन्टीन हो गए। लाख टके का सवाल ये है कि जब राज्य में कोरोना के केस एक हजार हो रहे हों तो घर में कैद सरकार संक्रमण से जंग लड़ पाएगी।
इसके अलावा मुख्य सचिव कुमार सिंह समेत कैबिनेट बैठक में मौजूद रहे कई अन्य आला अफसरों भी बीते रोज सचिवालय की बजाय घर से काम निपटाया। मतलब जब उत्तराखंड में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच सरकार और सिस्टम घर में कैद हो गया है। जाहिर सी बात है इस अभूतपूर्व स्थित के लिए सतपाल महाराज गुनाहगार हैं।
गौरतलब है कि महाराज की पत्नी पूर्व मंत्री अमृता रावत की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद मामला सुर्खियों में आया था। उसके बाद खुद सतपाल, उनके पुत्र-पुत्रवधू, पोता और सरकारी ड्राइवर एवं गनर समेत घर में कार्यरत स्टाफ के 17 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद तो उत्तराखंड में हड़कंप मच गया। फिलहाल, सतपाल महाराज और उनकी पत्नी समेत 5 परिजन ऋषिकेश के एम्स में भर्ती हैं।
आपको बता दें कि पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज देहरादून स्थित घर पर दिल्ली से कतिपय लोग आए थे। जिसकी सूचना पर स्थानीय प्रशासन ने आवास को क्वारन्टीन करने का नोटिस चस्पा कर दिया। इसके बावजूद कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज घर में क्वारन्टीन का नोटिस चस्पा होने के बावजूद कैबिनेट बैठक में हिस्सा लेते रहे।
जिससे ना सिर्फ कैबिनेट में मौजूद रहे मुख्यमंत्री, मंत्री और मुख्य सचिव समेत आला अफसर कोरोना की आशंका में घिर गए। इन हालात में ना सिर्फ व्यक्तिगत स्तर लापरवाही के लिए मंत्री महाराज बल्कि शासन और प्रशासन भी सवालों के घेरे में हैं। जब मंत्री के आवास पर क्वारन्टीन का नोटिस चस्पा था तो उन्हें कैबिनेट से परहेज करने की सलाह क्यों नहीं दी गई।
विपक्षी ने इस मामले में न सिर्फ महाराज बल्कि त्रिवेंद्र सरकार को घेरने में देर नहीं लगाई। कांग्रेस का कहना है कि कोरोना माहमारी के चलते देश और प्रदेश में आपदा प्रबंधन अधिनियम लागू है। लेकिन उत्तराखंड सरकार के वरिष्ठतम मंत्री ने केंद्र की गाइड लाइन को हवा में उड़ा दिया।
प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने तो सरकार के होम क्वारन्टीन होने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग बुलंद कर डाली। वहीं प्रदेश प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने सवाल किया कि क्या सरकार के मंत्री आरोग्य सेतु एप का इस्तेमाल नहीं करते हैं जो संक्रमित होने का पता नहीं चला। दसौनी ने तो महाराज के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।
सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या सरकार के मंत्री आरोग्य सेतु एप इस्तेमाल नहीं करते हैं। बहरहाल, महाराज की अनजाने में एक लापरवाही से कोरोना संक्रमण से जूझ रहा राज्य ही अधर में लटक गया है। उधर, राहत की बात ये है कि महाराज के विधानसभा स्थित दफ्तर में सरकारी निजी सचिव समेत 7 मुलाजिमों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
Comment here