टेढ़ी नजरनजरिया

USA: डोनाल्ड जे. ट्रम्प ने ‘बंकर’ में पनाह ली या फिर मुंह छुपाया!

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Narayan Bareth

उसे मास्क से परहेज था
क्योंकि मुँह छुप जाता है
लेकिन वक्त ने पलटा खाया ,
उसे बंकर में छिप कर पनाह लेनी पड़ी
अभी फ़्रांस में मैक्रॉन राष्ट्रपति है ,वे बैंकर है
अमेरिका में अब एक ‘बंकर राष्ट्रपति’ है !
अमेरिका में जगह जगह हिंसा हो रही है ,कर्फ्यू निस्तेज हो गया है
लोग सड़को पर हैं ,लेकिन ट्रम्प के शिकन तक नहीं है। अब भी वे प्रदर्शनकरियो को फौज उतारने की धमकी दे रहे है।

व्हाइट हाउस लॉकडाउन में है। विरोध में हुजूम जमा है। राष्ट्रपति को लगा एक ऐसी फोटो जाए जिसमें लगे सब कुछ सामान्य है। पड़ोस में सेंट जॉन चर्च है। अमेरिकन राष्ट्रपति वहां जाते रहे हैं। मगर मार्ग में प्रदर्शन कारी जमा थे। पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी,रबर की गोलियां दागीं ताकि ट्रम्प का रास्ता निरापद हो जाए। ट्रम्प चर्च तक तक गए। हाथो में बाइबल,भावशून्य चेहरा। इस पर तीखी प्रतिक्रिया हुई।

वाशिंगटन की बिशप मरियन कहती है ‘ यह बहुत दुखद है। लोगो पर बल प्रयोग किया गया। वाइट हाउस ने इतनी शिष्टता भी नहीं दिखाई कि उन्हें फोन करते। सिर्फ फोटो के लिए ऐसे करना ठीक नहीं है। फादर एडवर्ड बेक एक अख़बार से कहते है ‘ क्या कभी पहले भी किसी को ऐसे धूर्तता से बाइबल का इस्तेमाल करते देखा है।

डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन ने कहा ‘ ट्रम्प को बाइबल नहीं ,सविंधान का फर्स्ट अमेंडमेंट पढ़ने की जरूरत है। बहुत दुःख की बात है ,वे अपने लोगो पर फौज उतारने की बात कर रहे है।ट्रम्प को किसी की परवाह नहीं है। डेमोक्रेटिक उनके विरोधी है। ट्रम्प कहते है ‘ सिर्फ वो ही डेमोक्रेटिक डेमोक्रैट अच्छा हो जाता है जो दिवंगत हो गया।

कमला हैरिस कहती है बहुत अफ़सोस कि बात है ट्रम्प ने फ्लॉयड के साथ हुई घटना पर एक शब्द नहीं कहा। कमला भारतीय मूल की है। मियामी और न्यूयॉर्क में पुलिस को जरूर अहसास हुआ कि उनके साथ ने गलती की है। पुलिस वाले बावर्दी में अवाम के सामने घुटनो पर बैठे और रंज जाहिर किया। पर ट्रम्प इन सबसे अब भी बेखबर है। अफ बी आई के मुताबिक अमेरिका में पिछले कुछ सालो में हेट क्राइम यानि नफरत से जुड़े अपराध बढ़े है। 2018 में ऐसी 4571 घटनाये हुई है।

अमेरिका में जगह जगह ‘ सांस नहीं ले पा रहा हूँ ‘ की तख्तियां लिए लोग विरोध कर रहे है। क्योंकि जब पुलिस ने घुटनो में फंसा कर अश्वेत फ्लॉयड को मारा था ,यही उसके आखिरी शब्द थे। साथ ही अश्वेत की जिंदगी भी मायने रखती जैसे नारे गूंज रहे है। भारतीय मूल के कई बड़े नाम है ,जो इस नारे का साथ देने खड़े हुये है। ट्रम्प ने मारे गए युवक के भाई को फोन किया। उसके भाई ने मीडिया से कहा ‘ बेकार। वो खुद ही बोलते रहे। मैं क्या कहना चाहता हु ,एक नहीं सुनी। द गेट कीपर्स के लेखक क्रिस कहते है ‘व्हाइट हाउस में ऐसा कोई नहीं है जो उन्हें सच बता सके।

ट्रंम्प अमेरिका के 45 वे राष्ट्रपति है। जॉर्ज वाशिंगटन पहले राष्ट्रपति थे। वो कहते थे ‘ अगर तुम्हे अपनी प्रतिष्ठा से प्यार है तो कभी बुरी संगत में मत रहे। बेशक तन्हा रहना पड़े। लेकिन अब उसी धरती पर ट्रम्प है और उनकी संगत है। लिंकन 16 वे राष्ट्रपति थे। राजनीतिक विज्ञानी और लोकतंत्र प्रेमी आज भी लिंकन को पढ़ते है।

उनके शब्दों में ‘ “Nearly all men can stand adversity, but if you want to test a man’s character, give him power’ विपरीत हालात सभी खड़े रह सकते है। मगर इंसान का चरित्र का देखना चाहते हो तो उसे सत्ता दे दो। जैफरसन तीसरे राष्ट्रपति थे। वे पते की बात कह गए। बोले ‘ ताकत का जितना कम प्रयोग करोगे ,उतना ही उत्थान होगा। शक्ति के साथ विवेक भी समृद्ध होते रहना चाहिए।

ट्रम्प की निगाहे इस साल होने वाले चुनाव पर है। कदाचित उन्हें लगता है ‘ वाइट सुप्रीमेसी ‘ श्वेत अश्वेत में धुर्वीकरण मदद कर दे। ट्रम्प हो सकता है फिर से जीत भी जाए। मगर स्व वाजपेयी कहते थे ‘ छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता ,टूटे मन से कोइ खड़ा नहीं होता।

यह इत्तेफाक है दो दिन पहले ही कुमार शिव साहब ने अपने भावो को शब्दों में यूँ बांधा –
ऊँची करके एड़ियाँ क़द ऊँचा ना होय
छूता है आकाश वो झुकता है जो कोय !
कोई पद बड़ा हो सकता है लेकिन यह कद बड़ा होने की जमानत नहीं दे सकता।

(लेखक लंबे समय तक BBC में कार्यरत रहे और इस आलेख में उनके निजी विचार हैं)

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