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उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार को अपने पूर्व मुख्यमंत्रियों को फायदा पहुंचाने की विधायी कसरत को झटका लगा है। नैनीताल हाईकार्ट ने उस अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर दिया है, जिसके तहत उन्हें सुविधाएं मुहैया कराई गईं थी। कोर्ट की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए हुए आदेश दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री मार्केट रेट पर आवास आदि के किराए का भुगतान करेंगे।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की खंडपीठ ने राज्य सरकार के अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद-14 का उल्लंघन मानते हुए यह निर्णय दिया है। कोर्ट ने अपने फैंसले में कहा कि इस अधिनियम के प्रावधान स्थापित नियमों का उल्लंघन करते हैं। खंडपीठ ने अधिनियम को भारत के संविधान के अनुच्छेद 202 से 207 के उल्लंघन में भी पाया है।
यानि अब उत्तराखंड के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को बाजार मूल्य से किराए आदि का भुगतान करना होगा। गौरतलब है कि देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें राज्य सरकार के पूर्व मुख्यमंत्रियों को भुगतान करने में छूट देने को राज्य सरकार के बनाये गए अधिनियम को चुनौती दी गई थी।
दरअसल, भगत सिंह कोश्यारी, भुवन चंद्र खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल और विजय बहुगुणा भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं। जबकि कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी का स्वर्गवास हो चुका है। कोश्यारी आदि ने बाजार भाव से बकाया किराये के भुगतान में असमर्थता जताई थी। जिसके मद्देनजर त्रिवेंद्र सरकार ने विधानसभा के जरिए छूट देने का विकल्प तैयार किया। लेकिन उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सरकार के उस कदम को असंवैधानिक करार दिया है।
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