News Front Live, Nainital/ Mumbai
जहां एक तरफ नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे से महाराष्ट्र से प्रवासियों को लाने में की जा रही कथित आनाकानी पर 17 जून से पहले जवाब दाखिल करने का हुक्म दिया। वहीं दूसरी ओर याचिकाकर्ता और मुंबई में प्रवासी सहयोग टीम (PST) की सदस्य श्वेता मासीवाल ने प्रवासियों की बेबसी के साथ खिलवाड़ करने पर मुख्यमंत्री से इस्तीफा मांगा है।
गौरतलब है कि प्रीतम पंवार ने पूर्व में लॉकडाउन की वजह से मुसीबत झेल रहे प्रवासियों की बाबत उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें मासीवाल ने हस्तक्षेप करते हुए महाराष्ट्र से रजिस्ट्रेशन के बावजूद उन्हें उत्तराखंड लाने में राज्य सरकार की बेरुखी को कोर्ट के संज्ञान में डाला। उनके अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि हमने मुंबई समेत महाराष्ट्र के करीब 2600 प्रवासियों की लिस्ट हाईकोर्ट के सामने पेश करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद राज्य की सरकार उन्हें लाना ही नहीं चाहती। जिस पर खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार और रेलवे से हलफनामा मांगा है। अब इस PIL पर 17 जून को अगली सुनवाई होगी।
उधर, याचिकाकर्ता श्वेता मासीवाल का कहना है कि अभी तक महाराष्ट्र से 3 श्रमिक ट्रेनों में उत्तराखंड के लिए छूटी। जिनमें अंतिम रेलगाड़ी पिछले महीने 26 मई को मुंबई से रवाना हुई। जबकि मुंबई, थाणे, वसई और पुणे में हजारों की तादाद में रजिस्ट्रेशन करा चुके प्रवासी मजदूर वापसी के लिए ट्रेन की बाट जोह रहे हैं। मुंबई में PST के सदस्य लगातार उत्तराखंड सरकार से पत्र व्यवहार और संपर्क साधने की कोशिशें कर रहे हैं। लेकिन महाराष्ट्र में सम्बंधित जिलाधिकारियों के खतों का जवाब तक नहीं दिया गया।
मासीवाल का कहना है कि बीते 5 जून को उत्तराखंड के अधिकारियों को संपर्क किया गया तो जवाब मिला कि अब रेलगाड़ियां चलनी शुरू हो गईं हैं, लिहाजा श्रमिक ट्रेन की आवश्यकता ही नहीं है। उनका कहना है कि अब ना तो उत्तराखंड के संवेदनहीन अफसर फोन उठाने को तैयार हैं और ना ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत रेस्पांड करने को राजी। जबकि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और अफसर समुचित सहयोग कर रहे हैं। श्वेता का कहना है कि कमोबेश बेश 3 महीने की तालाबंदी से बिना काम-धंधे मजदूरों का जीना मुहाल हो गया है। अगर उत्तराखंड की सरकार इस मुसीबत के दौर में अपने प्रवासी लोगों वापस लाने में नाकाम है तो मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
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