News Front Live Team
आखिरकार पहली बार रक्षा मंत्रालय ने माना है कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से सटे इलाके में चीन की सेना ने अतिक्रमण किया था। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड किए दस्तावेज में कहा कि मई के तीसरे हफ्ते के दौरान चीनी सेना ने लद्दाख के अलग-अलग हिस्सों में अतिक्रमण किया था। दिलचस्प बात यह है कि रक्षा मंत्रालय ने बीते मंगलवार पहले तो अपलोड की लेकिन बाद में हटा ली।
मंत्रालय की अपलोड जानकारी के मुताबिक चीनी सेना ने पैंगोंग लेक के उत्तरी तट, गोगरा और कुगरांग नाला समेत मुख्तलिफ इलाकों में 17 -18 मई को घुसपैठ की थी। वेबसाइट के मुताबिक 5 मई के बाद गलवान घाटी समेत एलएसी से सटे इलाकों में चीन का अतिक्रमण बढ़ा।
इस कड़ी में 6 जून को पहली बार दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल की बातचीत हुई थी। ताकि दोनों देश परस्पर बातचीत से इस विवाद को सुलझा सकें। आगे वेबसाइट में बीते 15 जून को दोनों पक्षों में आमने सामने की हिंसक झड़प होने का जिक्र था । रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा कि लद्दाख में हालात संवेदनशील बने हुए हैं और लगातार निगरानी रखने की जरूरत है। इसके साथ ही आशंका जताई गई की यह गतिरोध लंबे समय तक कायम रह सकता है।आपको बता दें कि भारत और चीन के कमांडर लेवल के अफसरों के बीच 5 दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन चीन अभी तक एलएसी से पीछे नहीं हटा है।
जानकारी के मुताबिक चीनी सेना फिंगर फाइव में पोस्ट पर बनाने पर अड़ा है। खबरों के मुताबिक एलएसी चीन के 40000 से ज्यादा सैनिक और जखीरा मौजूद है। हालांकि गलवान घाटी में चीनी सेना के थोड़ा हटने की खबरें पूर्व में सामने आईं। लेकिन पैंगोंग झील इलाके मैं चीन का बड़ा जमावड़ा बना हुआ है। जो भारत के लिए चिंता का बड़ा सवाल है। सभी जानते हैं कि चीन हमेशा विस्तार वादी रहा है और उसके इरादे नापाक है
गौरतलब है कि मीडिया में मीडिया के एक हिस्से में चीन के अतिक्रमण की खबरें लगातार छपती रही है। साथ ही पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि लद्दाख में किसी ने 1 इंच भी हमारी जमीन पर ना तो कब्जा किया और ना ही कोई घुसा है। इस कड़ी में मोदी ने CDS विपिन रावत के साथ लेह का दौरा करके हालात की जानकारी लेकर बिना नाम लिए चीन को ललकारा भी था। इस बीच रक्षा मंत्रालय की बेबसाइट पर मुहैया की गई जानकारी से उस दावे पर सवाल खड़े हो गए हैं। ये बात और है कि मंत्रालय ने सम्बंधित जानकारी हटा भी ली है।
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