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Uttarakhand: पहले तब्लीगी फिर प्रवासी अब सियासी ‘जमात’ से कोरोना !

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उत्तराखंड में कोरोना महामारी का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। जिससे ना तो मैदान और ना ही कोई एक पहाड़ी जिला अछूता है। राज्य में शुरुआत में तबलीगी जमात,  फिर प्रवासी लोग और अब सियासी संक्रमण का सबब बने हैं। अब तो कोरोनकाल में अपने केबिन में कैद रहे अफसर भी इसकी चपेट में हैं। चिंताजनक ये है ज्यादातर पॉजिटिव लोगों की लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही। इस कड़ी में शुरू में हैल्थ बुलेटिन में दी जा रही सूचना को बंद कर दिया है।

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शायद यही वजह है कि कोरोना कंट्रोल के बुलेटिन में इस जानकारी को देना बंद कर दिया गया है। आपको बता दें कि विदेश से लौटे IFS अफसरों की जांच में 15 मार्च को उत्तराखंड में पहले केस की पुष्टि हुई। आज कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 30 हजार होने जा रहा है। अगर बात संक्रमण की रफ्तार की करें तो शुरुआती तौर पर तबलीगी जमात से आए लोगों में की संख्या ज्यादा थी। लेकिन उस चरण में राज्य में कोरोना मामलों की संख्या सैंकड़ों में या कहे एक हजार से नीचे रही।

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लेकिन जैसे ही प्रवासी दूसरे राज्यों से वापस लौटे तो मानो उत्तराखंड में कोरोना की भयंकर बाढ़ ही आ गई हो। शुरूआती महीनों में पहाड़ी जिलों में ना के बराबर कोरोना के केस थे। आज आलम ये है कि संक्रमित मरीजों की 400 से लेकर 1200 हो गई है। प्रवासियों से संक्रमण बढ़ने के बाद राज्य कोरोना कंट्रोल रूम ने अपने आंकड़ों की तालिका से जमातियों की जानकारी हटानी पड़ी। वरना उसके पहले सरकार उसे प्रचारित करती थी।

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इस वक्त उत्तराखंड कोरोना के मद्देनजर ‘सियासी संक्रमण’ के दौर से गुजर रहा है। सबसे पहले पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज और उनकी पत्नी  पूर्व मंत्री अमृता रावत कोरोना पॉजिटिव पाई गईं। उनके बाद BJP के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार, नैनीताल के जिलाध्यक्ष प्रदीप बिष्ट औऱ  2 प्रदेश प्रवक्ता कोरोना की चपेट में आए। अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बंशीधर भगत संक्रमण शिकार हुए हैं।

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इस कड़ी में भाजपा विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन विनोद चमोली और देशराज कर्णवाल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।  शहरी विकास मंत्री और शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक भी खुद को संक्रमण से नहीं बचा पाए। मुख्यमंत्री के एक OSD समेत निजी स्टाफ के कुछ लोग पॉजिटिव हुए। सम्बंधित ओएसडी की संक्रमित पत्नी का हाल ही मेंं निधन हो गया।

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अगर विपक्षी कांग्रेस की बात करें तो पूर्व मंत्री तिलक राज बेहद सबसे पहले संक्रमित  पाए जाने वाले नेताओं में हैं। नेता विपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदेश संक्रमित हुए।  इसी तरह  पूर्व प्रदेश महासचिव राजेंद्र भंडारी और पिथौरागढ़ के पूर्व जिला अध्यक्ष मुकेश पंत भी पॉजिटिव आए।  देहरादून में पार्टी कार्यकर्ता मधु थापा का कोरोना के फोटो चलते निधन हो गया।

अब तो कोरोनकाल में केबिन की कैद में रहे IAS कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। इस कड़ी में एक सचिव और एक अपर सचिव के साथ कुछेक अन्य कर्मी संक्रमित हुए हैं। उधर, फ्रंटफुट पर ड्यूटी करने वाले सैंकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी पॉजिटिव हो गए।

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कमोबेश पिछले महीने के दौरान हर रोज ढाई सौ से एक हजार लोगों में कोरोना की पुष्टि हो रही है। यह भी एक पहलू है कि जांच का दायरा बढ़ने से केस की तादाद में भी इजाफा हुआ। लेकिन संक्रमण की तेज रफ्तार सरकार और सिस्टम दोनों के लिए चिंता का सबब बनी है। इन हालात के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार ‘कम्यूनिटी ट्रांसमिशन’ से इंकार कर रही हैं।

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