News Front Live, Dehradun
Devasthanam प्रबंधन बोर्ड चुनाव से पहले BJP के लिए गले की हड्डी बन गया है।
इस कड़ी में तीर्थ पुरोहितों ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को केदारनाथ में बिना दर्शन किए बैरंग लौटा दिया।
भाजपा सरकार PM नरेंद्र मोदी के दौरे से पहले हुए इस विरोध से हलकान है।
जिसके मद्देनजर खुद पुष्कर सिंह धामी को Kedarnath धाम पहुंच कर मोर्चा संभालना पड़ा। उनकी मौजूदगी में भी पुरोहित समाज की नारेबाजी हुई।
धामी ने पंडा पुरोहितों के पीएम का विरोध नहीं करने का भरोसा दिया है।
गौरतलब है कि त्रिवेंद्र सरकार ने Devasthanam प्रबंधन बोर्ड गठित किया था। जिसमें चारों धाम समेत 51 मंदिर शामिल किए गए।
सरकार का दावा था कि इससे जम्मू कश्मीर के श्राइन (Shrine) बोर्ड की तर्ज पर धार्मिक स्थलों का सुव्यवस्थित संचालन होगा।
लेकिन बदरीनाथ, केदारनाथ धाम आदि के पुरोहित और बीजेपी MP सुब्रह्मण्यम स्वामी ने बोर्ड का शुरू से विरोध किया।
उन्हें आशंका है कि सरकारी नियंत्रण से हकहकुकधारीयों के हित प्रभावित होंगे।
गौरतलब है कि पूर्व सीएम TSR भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और मंत्री डॉ धन सिंह रावत के साथ केदारनाथ गए थे।
देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों ने उनके हेलीपैड पर लैंड करते ही घेराव कर नारेबाजी की।
इतना ही नहीं उन्होंने रावत को केदारनाथ में बिना दर्शन किए बैरंग लौटा दिया।
क्या एक पूर्व CM को केदारनाथ दर्शन से रोकना उचित है ? इस मुद्दे पर भी बहस छिड़ गई है।
त्रिवेंद्र ने कहा कि केदारनाथ में जो कुछ हुआ वह देवभूमि की छवि के लिए सही परंपरा नहीं है।
उन्होंने कहा कि बाबा सबको क्षमा करेंगे।
मुख्यमंत्री धामी हालत की नजाकत भांपते हुए केदारनाथ गए।
उन्होंने पुरोहितों को समझाया कि उनके मान सम्मान को कोई ठेस नहीं पहुंचाई जायेगी।
तो क्या अब सरकार चुनावी नुकसान की आशंका में पीछे हटेगी।
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