News Front Live, lalkuan (Nainital)
- Ganga के बाजारीकरण की जांच के लिए आयोग बनेगा
- भारतीयों की आस्था पर प्रहार करने के दोषी दंडित होंगे
लालकुआं में चुनाव-प्रचार के आखिरी दिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मां गंगा को बाजार बनाने और उसके जल को बेचने की कोशिश करने वालों की जमानत जब्त कराने का आह्वान किया। उन्होंने अपने मुख्य प्रमुख सलाहकार पंडित चन्द्रशेखर उपाध्याय के दिखाए कागजात पर विचार-विमर्श के बाद यह बयान जारी किया है। रावत ने कहा कि भाजपा को मां गंगा और गंगाजल पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
उसने शराब-सिंडीकेट से बड़ा लेनदेन कर पावर-प्रोजेक्ट आबंटन घोटाला किया था। तत्कालीन बीजेपी सरकार गंगा की धारा को अवरुद्ध करके पावर-प्लांट प्रोजेक्ट बनाना चाहती थी। ताकि उत्पादित बिजली को औने-पौने दामों में बेचकर मोटा मुनाफा कमा सके। भाजपा की उन कोशिशों ने असंख्य भारतीयों की गंगा के प्रति आस्था एवं विश्वास को आहत किया।
रावत ने कहा कि सिटूर्जिया जमीन-घोटाले में भाजपा की योजना उस बीमार-फैक्ट्री को पुनर्जीवित करने की बजाय उसके मालिक से मोटी रकम वसूलकर गंगा को ‘लीज’ पर देने की थी। गंगाजल को बोतल में भरकर बेचने का भरोसा दिलाया गया था। यदि इस मामले में अदालती दखल न होता उसे अपना पेटेंट करने की सहूलियत भाजपा प्रदान कर देती।
इन दोनों मामलों में न्यायविद चंद्रशेखर उपाध्याय ने ही भाजपा सरकार से रोल बैक करा राज्य को एक बड़े भ्रष्टाचार से बचाकर Ganga के स्वाभिमान एवं सम्मान की रक्षा की। गौरतलब है कि उपाध्याय पंडित दीन दयाल उपाध्याय के प्रपौत्र हैं।
रावत ने कहा है कि भाजपा ने राज्य-गठन के बाद हुए दोनों महा कुम्भ में बड़े घोटाले किए गए। CAG रिपोर्ट में 2011 के कुंभ मेले में बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया गया था। उपाध्याय ने जो साक्ष्य मुझे दिखाए वह बिना-निर्माण कार्य करोड़ों रुपये हड़पने की पुष्टि करते हैं। अस्वीकृत कार्यों के नाम पर भी भाजपा ने अमानत में भारी खयानत की।
पूर्व CM ने कहा कि 2021 के कुंभ में ‘कोविड-टेस्टिंग घोटाले में भाजपा और उसके नेताओं की भागीदारी साबित हुई। आखिर वह पैसा किसकी जेब में गया। कांग्रेस अपनी सरकार बनने पर इसकी भी जांच कराएगी। उन्होंने सवाल किया कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री की भूमिका सिर्फ ‘डिलीवरी-बाॅय’ की थी या उन्हें भी ट्रांसपोर्टेशन का कुछ मिला?
रावत ने कहा कि 2011 के कुंभ-घोटाले का मामला अदालत तक गया था। जिसका संज्ञान भी लिया था लेकिन तकनीकी-त्रुटि के आधार पर मामला दबा दिया गया। आज भी भाजपा के गंगा के नाम पर हुए भ्रष्टाचार के कंटेंटस जिन्दा हैं। कुम्भ-घोटाला गुण-दोष के आधार पर निस्तारित किया जाना बाकी है ।
रावत ने कहा कि गंगा उत्तराखण्ड में अपने उद्गम स्थल से मूल-स्वाभाव में हरिद्वार तक पहुंचे। लेकिन भाजपा सरकार ने करोड़ों भारतीयों की इस भावना का मखौल उड़ाया। उन्होंने मतदाताओं से 14 फरवरी को गंगा एवम् गंगाजल की मार्केटिंग करने वालों को कड़ा सबक सिखाने की अपील की है।
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