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Russia Ukraine Turmoil: पुतिन ने CIA की आंखों से चुराया काजल !

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By Sheetal P Singh

(Russia Ukraine Turmoil) रूस युक्रेन का पड़ोसी देश है, पहले दोनों एक देश थे। अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश सीनियर के दावे के अनुसार शीतयुद्ध में USSR को हराकर उसने CIA के जरिए उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए थे। युक्रेन भी ऐसा ही एक टुकड़ा है। इन टुकड़ों में से कई विभिन्न प्रकार के लालच में पड़ोसी देशों से रिश्ते बेहतर रखने की जगह अमरीका की गोद में रहना मुफीद समझने लगे। इस बीच KGB के पुराने कारकुनों ने अपनी पराजय से सबक लेकर खुद को पुनर्जीवित किया और CIA की आंख में से काजल चुराते हुए रूस पर पुतिन के नेतृत्व में अधिकार पा लिया।

Russia Ukraine Turmoil

पुतिन ने निहायत ही समझदारी से रूस को अमरीकी और पश्चिमी कंपनियों के जबड़े से वापस हासिल किया और अपनी सामरिक ताकत को भी एक हद तक पुनर्जीवित कर लिया। युक्रेन ने इस बीच खुद को नाटो को सौंप दिया था। पुतिन के लिए यह बेहद ख़तरनाक स्थिति थी कि उसके सीमावर्ती देश में अमरीकी सेना को तैनात रहने के अधिकार मिल गए थे, युक्रेन ने अमरीका के साथ सैन्य अभ्यास करके इस स्थिति को विस्फोटक बना दिया।

तो अमेरिका ने यूक्रेन को ठग लिया !

इधर लोकतंत्र का स्वांग करते पुतिन को रूस की एक बड़ी आबादी से प्रतिरोध मिलना शुरू हो चुका था, निश्चित ही CIA चुपचाप नहीं बैठा रह सकता था। पुतिन ने कुछ बरस पहले युक्रेन से क्रीमिया नामक नौसैनिक बंदरगाह नगर को अचानक कब्जिया कर इशारा कर दिया था कि वह युक्रेन में अमरीकी उपस्थिति को आंख मूंद कर बर्दाश्त नहीं कर सकता पर युक्रेन ने सबक न लिया बल्कि वह अमरीकी रिश्ते को और मजबूत करने में लग गया। नतीजा यह है कि अब युक्रेन दो टुकड़े होने को है और अमेरिका दूर से उसको मौखिक ढाढ़स देकर उसकी मूर्खता का उपहास कर रहा है।

भारत को सबक लेने की जरूरत !

युक्रेन के हालहवाल में भारत के लिए भी कड़वा सबक निहित है। हमारे यहां भी अमरीका की ओर लपकने वाले “काबिल” लोगों की भरमार है। जबकि जरुरत पड़ोस से समझदारी और भरोसा जीतने की है !

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इस आलेख में उनके निजी विचार हैं)

साभार

 

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