By Dipendra Sivach
(Women Cricket) अब महिला क्रिकेटरों को भी पुरुषों के समान पारिश्रमिक मिलेगा।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने यह निर्णय लिया है।
खुद बोर्ड के सचिव जय शाह (Jay Shah) ने ट्वीट करके जानकारी दी।
उनके मुताबिक अनुबंधित क्रिकेटर्स के लिए ही पे इक्विटी पॉलिसी लागू होगी।
गौरतलब है कि 2006 में भारतीय महिला क्रिकेट एसोसिएशन का बीसीसीआई में विलय हुआ।
जिसके बाद बीसीसीआई का महिला क्रिकेट के लिए पहला बड़ा और ठोस कदम है।
वैसे यह लड़कियों की कड़ी मेहनत और संघर्ष का नतीजा है।
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ये वही लड़कियां हैं जिन्हें कभी अपनी किट और दैनिक भत्तों तक के लिए संघर्ष करना पड़ता था।
लेकिन मिताली राज, हरमनप्रीत कौर, झूलन गोस्वामी, स्मृति मंधाना जैसी खिलाड़ियों ने अपने खेल को ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
अब ये सभी लड़कियां ‘क्रिकेटिंग आइकॉन’ बन गईं हैं।
पिछले दिनों में भारतीय महिला क्रिकेट ने महत्वपूर्ण सफलताएं प्राप्त की हैं और क्रिकेट जगत में महत्वपूर्ण स्थान बनाया है।
जाहिर है उसका दबाव भी इस निर्णय में ज़रूर रहा होगा।
लेकिन सच बात तो यह है कि बीसीसीआई ने लड़कियों को सौगात खैरात में नहीं दी है।
दरअसल, अब उनकी उपेक्षा की ही नहीं जा सकती थी।
बीसीसीआई को पता है कि Women Cricket अब भारत में इतना लोकप्रिय हो गया है कि उसे बेचा जा सकता है।
निसंदेह यह लड़कियों की कड़ी मेहनत का ही हासिल है।
भला बीसीसीआई इस महत्वपूर्ण अवसर को कैसे हाथ से जाने देता।
ध्यान दीजिए अगले सीजन से महिला आईपीएल IPL भी शुरू होने जा रहा है।
हालांकि ये समानता अभी अधूरी है। लड़ाई बाकी है। ये केवल फीस की समानता है।
अनुबंध में अभी भी भारी अंतर है।
(लेखक खेल विशेषज्ञ और आकाशवाणी में कार्यरत हैं, इस आलेख में उनके निजी विचार हैं)
Photo साभार/FB
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