By K Vikram Rao
(Facts about Sunak) जब राजा चार्ल्स (King Charles) ने लंदन के अपने ढाई सदी पुराने बर्मिंघम राजमहल में ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री नामित (मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022) किया था तो उसी वक्त नई दिल्ली की चाणक्यपुरी के शान्तिपथ – स्थित ब्रिटिश उच्च आयोग में राजदूत एलिस एलेक्सेंडर पत्रवार्ता को हिन्दी में सम्बोधित कर रहे थे। परिवर्तन की लहर सात हजार किलोमीटर दूर झलक रही थी। इस रेस्त्रां कर्मचारी रहे सुनक को बधाई देने वाले में नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) सर्वप्रथम थे, जो स्वयं चाय बेचने से लेकर प्रधानमंत्री पद पर आरूढ़ हुये।
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मगर रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने सुनक को बधाई नहीं दी। कारण ? सुनक ने यूक्रेन का पक्ष लिया था, उसका समर्थन किया था। सुनक की घोषणा कि वे शपथ को भगवतगीता को साक्षी मानकर लेंगे तो यह एक साधारण वाकया होगा। सांसद तथा वित्तमंत्री की शपथ भी वे इसी प्रकार ले चुके हैं। यूँ तो सभी काबीना मंत्री बाईबल की कसम खाते हैं। भारतीय मूलवाले भी।
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अतः उत्कंठा तो जगती ही है कि आखिर यह ऋषि सुनक (Rishi Sunak) हैं क्या ? इनकी कौटुंबिक पृष्ठभूमि क्या है? यह स्वाभाविक है। इस पंजाब दा पुत्तर कर्नाटक के जमाई का तीन महाद्वीपों से रिश्ता है। एशिया, अफ्रीका और यूरोप। वैश्विक व्यक्तित्व है। माता उषा तंजानिया में जन्मी, पिता यशवीर सुनक कीन्या में। खुद सुनक ब्रिटेन के साउथमपटन में पैदा हुये। अब दावा इन सब पर एशियाई पड़ोसियों द्वारा हो रहा है।
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मूलतः अविभाजित भारत के प्राचीन नगर गुजरां वाला का यह सुनक परिवार महाराजा रंजीत सिंह की इस राजधानी शहर का वासी था। विभाजन के एक दशक पूर्व ही ऋषि के माता-पिता पूर्वी अफ्रीका चले आये थे। सुनक के पितामह रामदास सुनक और दादी सुहागरानी ने नैरोबी को पड़ाव बनाया था। माता-पिता कामनवेल्थ मुख्यालय इंग्लैण्ड (England) में बस गये। दक्षिण ब्रिटेन के बन्दरगाह नगर फिर साउथम्पटन शहर में आ गये। यह ट्यूडर वंश का गढ़ रहा। मुगलों के समकालीन रहे बादशाह हेनरी द्वारा निर्मित इसी शहर में ऋषि का जन्म हुआ था।
हालांकि एक पाकिस्तानी ने ट्वीट किया था कि सुनक परिवार पड़ोसी पाकिस्तान (Pakistan)का है। अतः इस्लामी गणराज्य इस सुनक के पाकिस्तानी होने का दावा करता है। सच्चाई यह है कि सुनक के परिवार ने गुलाम भारत को 1935 ही में छोड़ दिया था। तब तक तो पाकिस्तान राष्ट्र बना ही नहीं था। बल्कि बर्मा और श्रीलंका भी भारत के ही भूभाग थे। Facts about Sunak
ऋषि परंपरा से जुड़ी हैं सुनक की जड़ें
ब्रिटिश प्रधानमंत्री के परिवार की जड़े प्राचीन भारत के ऋषि परम्परा में है। कौटुंबिक नाम शुनक की उत्पत्ति भी शताब्दियों के पूर्व नक्षत्र शौनक से सम्बन्धित है। यह सातों नक्षत्र ध्रुव तारे की परिक्रमा करते हैं।
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सनातन धर्म के ग्रंथों व पुराणों में काल को मन्वंतरों में विभाजित कर प्रत्येक मन्वंतर में हुए ऋषियों के ज्ञान और उनके योगदान को परिभाषित किया है। इनके अनुसार प्रत्येक मन्वंतर में प्रमुख रूप से सात प्रमुख ऋषि हुए हैं, जिनमें से एक थे ऋषि शौनक। पुराणों के अनुसार ऋषि शौनक एक वैदिक आचार्य थे, जो भृगुवंशी शुनक ऋषि के पुत्र थे। इनका पूरा नाम इन्द्रोतदैवाय शौनक था। ऋषि शौनक ने कुल 10 हजार विद्यार्थियों को गुरुकुल को चलाकर कुलाधिपति का विलक्षण सम्मान हासिल किया था। इनसे पहले किसी भी अन्य ऋषि को ऐसा सम्मान प्राप्त नहीं हुआ था।
तो सुनक से जुड़े विवाद बेमानी हैं
राजनेता ऋषि सुनक के विषय में अनावश्यक तौर पर दो विवाद उठाये गये हैं। उनकी पत्नी अक्षरा नारायणमूर्ति के बारे में यह है कि ब्रिटेन में टैक्स नहीं जमा किया। बंगलूर में जमा करती हैं। इसमें ऐतराज क्यों है? अक्षरा अभी भी भारतीय नागरिक हैं। सोनिया गांधी भी विवाह के कई वर्षो तक इटली की नागरिक रहीं। दो दशकों बाद भारतीय वोटर बनी थी। अक्षरा का अपना वित्तीय जीवन हैं। स्वयं उद्योग चलाती हैं। उनके पिता नारायण मूर्ति दक्षिण भारत की कम्प्यूटर कंपनी इन्फोसिस के संस्थापक हैं। अरबपति हैं। इससे लाभार्थी तो ऋषि हुये, न कि उनकी पत्नी। तो कर भुगतान का प्रश्न क्यों उठता है ?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और इस आलेख में उनके निजी विचार हैं)
Photo साभार/FB पेज/ऋषि सुनक
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