(New Highcourt Without capital) भले ही उत्तराखंड (Uttarakhand) की स्थाई राजधानी तय नहीं हुई हो, लेकिन परमानेंट हाईकोर्ट शिफ्ट किया जाएगा।
पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में उसे हल्द्वानी शिफ्ट करने पर मुहर लगी।
उत्तराखंड (Uttarakhand) गठन के समय देहरादून में अस्थायी राजधानी और नैनीताल में हाईकोर्ट (Nainital High Court) स्थापित किया गया था।
उसके विस्तार के लिए वन समेत अन्य विभागों के दफ्तर और परिसर नैनीताल से अन्यत्र स्थानांतरित किए गए।
जिन्हें रोकने को कर्मचारी संगठनों ने मुखर विरोध प्रदर्शन हुए थे लेकिन सफलता नहीं मिली।
फिर उच्च न्यायालय में आधारभूत ढांचा लगातार बढ़ा।
दरअसल, नैनीताल एक विश्व प्रसिद्ध पर्वतीय पर्यटन स्थल है जो ब्रिटिश काल में यूनाइटेड प्रोविंस की समर कैपिटल था।
हाईकोर्ट स्थापित होने के बाद उसके महानुभावों के प्रोटोकॉल के मद्देनजर प्रशासनिक व्यवस्था पर कथित दखल शुरू हुआ।
इस कड़ी में भीड़ बढ़ने पर कथित तौर पर बिना किसी लिखित आदेश के पर्यटकों को रोकने की कवायद भी होती है।
जिससे गुस्साए होटल कारोबारी आवाज बुलंद करते रहे हैं। साथ ही एक तबका पाबंदियों से कभी खुश नहीं रहा।
इसके इतर व्यवहारिक बात ये है कि सामान्य फरियादियों के लिए नैनीताल में महंगे होटल का खर्च वहन करना मुश्किल है।
उधर, महज 13 जिलों के उत्तराखंड के गढ़वाल में हाई कोर्ट की एक बेंच खोलने की मांग भी उठी।
वहीं, पूर्व चीफ जस्टिस रंगनाथन के रहते उच्च न्यायालय को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने का प्रस्ताव भी भेजा गया।
उसके अलावा न तो राजनैतिक और न ही स्थानीय स्तर पर हाई कोर्ट को शिफ्ट करने की सार्वजानिक मांग कभी नहीं उठी।
इस बीच गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित हुई।
लेकिन राज्य के गठन के 22 साल बाद स्थाई राजधानी का फैसला नहीं हुआ।
लिहाजा नैनीताल हाईकोर्ट को हल्द्वानी भेजने New Highcourt Without capital के फैसले पर राजनैतिक सवाल तो खड़े होंगे।
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