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लॉकडाउन के चलते पलायन करने वाले मजदूरों के साथ स्थानीय पुलिस- प्रशासन ने अमानवीय व्यवहार किया। कोरोना के मद्देनजर दर्जनों प्रवासियों को सेनिटाइज करने के लिए केमिकल का स्प्रे किया गया। जिससे उत्तर प्रदेश में प्रशासन की संवेदनशीलता पर बेहद गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
कोरोना महामारी को रोकने के लिए देश में 21 दिन का लॉक डाउन चल रहा है। जिसके चलते कामगार और मजदूर दिल्ली समेत अन्य शहरों से बदहवासी में पलायन कर रहे हैं। इस कड़ी में बड़ी संख्या में मजदूर दिल्ली से उत्तर प्रदेश में अपने गांव की तरफ पैदल निकल पड़े। जिनको बरेली में स्थानीय प्रशासन की अमानवीयता का सामना करना पड़ा।
दरअसल, नोएडा में कोई एक मजदूर कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया। जिसके मद्देनजर प्रवासी मजदूरों को सेनिटाइज किया गया। लेकिन उसे करने का तरीका इतना अमानवीय था कि जानवर हों। बरेली में प्रवासी कामगारों पर एक केमिकल की बौछार करने की बात सामने आई है। कहा जा रहा है कि सोडियम हाइपोक्लोराइट नामक केमिकल का इस्तेमाल किया गया।
बरेली बस स्टैंड के पास बताई जा रही इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा। जिससे उत्तर प्रदेश की खासी किरकिरी हो रही है। हालांकि जिला प्रशासन ने कहा संक्रमण के मद्देनजर एहतियात बरती जा रही है। लेकिन सेनिटाइज करने के लिए केमिकल का प्रयोग करने पर अनभिज्ञता जाहिर की।
उधर, इस मामले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया। उन्होंने राज्य सरकार से मजदूरों के साथ अमानवीय व्यवहार ना करने की गुजारिश की। गांधी ने कहा कि हम सब मिलकर आपदा से लड़ रहे हैं। लेकिन मजदूरों को केमिकल से मत नहलाइये।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूछा कि क्या इस छिड़काव करने के WHO के निर्देश हैं। और इसे होने वाली जलन का इलाज क्या है। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे क्रूरता बताते हुए कहा कि इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है।
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