News Front Live, Dehradun/Bijnor
उत्तर प्रदेश (UP) में योगी सरकार के सिस्टम ने उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार की व्यवस्था को आईना दिखा दिया है। योगी के पूर्वाश्रम के पिता के कर्मकांड के नाम पर देवभूमि में घूमने वाले निर्दलीय विधायक को बिजनौर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। लॉक डाउन में बदरीनाथ जाने के लिए VIP पास को लेकर मुख्यमंत्री के करीबी अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश की भूमिका पर गंभीर सवाल हैं। यह प्रकरण त्रिवेंद्र सरकार के लिए फजीहत का सबब बनता नजर आ रहा है।
महराजगंज जिले के निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी उत्तराखंड से तो सस्ते में निकल गए, लेकिन सीमावर्ती बिजनौर जिले में नजीबाबाद पुलिस के हत्थे चढ़ गए। पुलिस ने लॉक डाउन में बिना पास एंट्री पर विधायक को उनके 6 साथियों के साथ गिरफ्तार करने के साथ काफिले में शामिल कार का चालान भी कर दिया। त्रिपाठी के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन, जनमानस के जीवन को खतरे में डालने के साथ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत मुकदमे कायम किए हैं।
गौरतलब है कि हाल में UP के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के पूर्व संस्कारों के पिता पौड़ी जिले के निवासी आनंद सिंह बिष्ट का निधन हो गया था। इस कड़ी में उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बीते 2 मई को देहरादून के जिलाधिकारी को एक चिट्ठी लिखी। जिसमें विधायक त्रिपाठी और उनके 10 सहयोगियों को योगी के स्वर्गीय पिता के पितृ कार्यों के लिए बदरीनाथ और केदारनाथ जाने के लिए पास जारी करने के लिए कहा गया था।
जिसके बाद अमनमणि त्रिपाठी ने अपने काफिले के साथ बदरीनाथ कूच कर गए। इस दौरान उन्होंने धौंस दिखाई, लेकिन पुलिसक कर्णप्रयाग से बैरंग वापस कर दिया। फिर आते वक्त मुनि की रेती में विधायक को 3 मई को पहले गिरफ्तार करके मुचलके पर छोड़ दिया गया। इस कड़ी में अपने गृह राज्य लौटते वक्त बिजनौर पुलिस ने त्रिपाठी और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार करते हुए गाड़ियों का चालान कर दिया।
इस सारी कहानी में उत्तराखंड शासन और प्रशासन की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि बदरीनाथ धाम के कपाट बंद और केदारनाथ में श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी है। फिर मुख्य अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने विधायक को पास जारी करने के लिए चिट्ठी क्यों लिखी? तो क्या प्रभाव शाली ACS के हुक्म की तामीली में विधायक को तीर्थ कराने के लिए देहरादून के DM कोरोना के मद्देनजर हुए लॉकडाउन की गाइड लाइन भूल गए।
ये ठीक है कि उत्तराखंड के मुनि की रेती में विधायक की गिरफ्तारी की रस्मअदायगी की गई। वैसे योगी के पूर्वाश्रम के दिवंगत पिता के पितृ कार्यों के लिए तो उनके भाई मौजूद हैं। इस लिहाज से अमनमणि त्रिपाठी को बदरीनाथ-केदारनाथ जाने की अनुमति देना गंभीर मामला है। कहने की जरूरत नहीं है कि ACS मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बेहद करीबी बताए जाते हैं। लिहाजा इस प्रकरण अप्रत्यक्ष रूप से जनमानस में मुख्यमंत्री की भी फजीहत होती ही है।
अगर विधायक अमनमणि त्रिपाठी ने योगी के पिता का गलत इस्तेमाल किया तब तो मामला और भी गंभीर हो जाता है। लाख टके का सवाल ये है कि इस संवेदनहीनता के लिए जिम्मेदार कौन है? चूंकि मुख्यमंत्री के करीबी अफसरों की भूमिका पर सवालिया निशान हैं। इसलिए जवाबदेही तय होने की गुंजाइश भी बहुत ज्यादा नजर नहीं आती।
(Photo: साभार)