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Uttrakhand: राजधानी क्षेत्र के क्वारन्टीन सेंटर में युवक ने की आत्महत्या, लाश सड़ने के बाद चला पता! क्वारन्टीन सेंटरों की व्यवस्था पर उठे गंभीर सवाल

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Akhilesh Dimri, Dehradun

देहरादून के बालावाला स्थित में एक क्वारन्टीन सेंटर में एक युवक ने फांसी लगा ली। हरिद्वार निवासी संकेत मेहरा को जबलपुर से लौटने पर यहां क्वारन्टीन किया गया था। मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र से सटे हुए सम्बंधित केंद्र में आत्महत्या के मामले ने कई सवाल छोड़ दिए हैं।

मसलन एक राजधानी क्षेत्र के क्वारन्टीन सेंटर में व्यक्ति फांसी पर लटकी लाश सड़ांध मार रही मिलती है और आप कहते हैं कि क्वारन्टीन सेंटर्स के इंतजाम बेहतर हैं ? आप कहते हैं कि सरकार अच्छा काम कर रही है? कोई कुछ न कहे।

हुजूर इस सूबे में गृह विभाग है या नहीं ? क्या कर रहा है गृह सचिव और उसका तमाम अमला? अरे पूरे सूबे में नही घूम सकते तो कम से कम उस शहर में तो कभी मौका मुआयना कर ही सकते हो जहाँ विराजमान हो कि कसम ही खाई हुई है कि जब तक कोरोना चला न जाये तब तक घर से बाहर ही नहीं निकलना है?

अब कर लीजिएगा किसी अदने से कर्मचारी को सस्पेंड कि वो झांक झांक कर क्वारन्टीन सेंटर के कमरों को क्यों नही देख रहा था ? अरे जब बड़े बड़े क्वारन्टीन सेंटर की तरफ न झांकेंगे तो वो ही कमरों की तरफ क्यों झाँके , जिंदगी उसे भी उतनी ही प्यारी होगी जितनी कि बड़े साहब लोगों को ?

कुछ दिन पहले ही एक 6 साल की बच्ची की बदइंतजामी के कारण सांप के काटने से मौत हुई है, उधर जनपद पौड़ी में भी क्वारन्टीन सेंटर पर घण्टों तक एम्बूलेंस का इंतजार करना पड़ा। आखिर सिस्टम है कहाँ और क्या कर रहा है? क्यों इतनी बदइंतजामी है कि लोग क्वारन्टीन सेंटर्स पर भरोसा नही कर पा रहे ?

जागिये सरकार जागिये वरना लोगों का पूरा विश्वाश ही उठ जाएगा आपसे, इसलिए जागिये टटोलिये व्यवस्थाओं को जिम्मेदारी तय कीजिये कड़े फैसले लीजिये , ब्यूरोक्रेसी के जाल से बाहर आइए ,जागिये हुजूर जागिये।

समझिए कि एक लाश घण्टों से पड़ी हुई है कि उससे दुर्गंध आने लगी लेकिन जिम्मेदार व्यवस्थाओं को पता ही न चले तो इसका मतलब क्या माना जाए?

 

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