Uttrakhand: कांग्रेस MLA वेतन कटौती में उदार, BJP विधायक कंजूस

News Front Live, Dehradun
त्रिवेंद्र कैबिनेट ने कोरोना महामारी के मद्देनजर विधायकों के वेतन, निर्वाचन क्षेत्र और सचिव भत्ता  का 30% धनराशि कटौती करने का निर्णय लिया था। लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि सत्ताधारी भाजपा के अध्यक्ष समेत 45 विधायक ही उदारता बरतने की बजाय  उसे ठेंगा दिखा रहे हैं।
जबकि विपक्षी कांग्रेस के 11 विधायकों ने कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक  57,600 रुपये माहवार रकम सरकार के फंड में जमा करके उदारता बरती। जबकि भाजपा के विधायक वेतन में 9 से 30 हजार रुपये प्रति माह की कटौती करा रहे हैं। सीधे सपाट कहें तो BJP विधायक कोरोना संकटकाल में फिसड्डी नजर आए।
इस बात का खुलासा कांग्रेस विधायक मनोज रावत को सूचना के अधिकार (RTI) के तहत विधानसभा से मिली जानकारी से हुआ है। जिसमें स्पीकर, मुख्यमंत्री और मंत्रियों की जानकारी नहीं दी गई है। अलबत्ता नेता प्रतिपक्ष (कैबिनेट मंत्री के समकक्ष) डॉक्टर इंदिरा हृदयेश के वेतन से 75600 काटे जाने का जिक्र जरूर है।
गौरतलब है कि 70 सदस्यीय उत्तराखंड विधानसभा में सत्ताधारी भाजपा के 57 MLA हैं। जबकि विपक्षी कांग्रेस के 11 विधायक हैं। सदन में 2 निर्दलीय निर्वाचित हुए, जिनमें एक सत्ता पक्ष के साथ है। इसके अलावा भाजपा का एक एंग्लो इंडियन (मनोनीत) विधायक है।
 कैबिनेट के निर्णय के मुताबिक उपनेता विपक्ष करन माहरा, प्रीतम सिंह समेत 10 कांग्रेस विधायकों के वेतन से 57600 रुपये की कटौती हुई। वहीं भाजपा के सिर्फ 13 विधायकों ने ही अपने वेतन से 57600 रुपये कटवाए हैं। जिनमें हरबंस कपूर, महेंद्र भट्ट, पुष्कर धामी, सौरभ बहुगुणा और अक्सर विवादों में रहने वाले MLA कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन भी शामिल हैं।
इस कड़ी में भाजपा के अन्य 16 विधायक 30000 रुपये और चार विधायक 12600 रुपये प्रति माह की कटौती करा रहे हैं। सबसे हैरानी की बात ये है भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत समेत 13 विधायक तो केवल 9000 रुपये प्रति माह वेतन से कटा रहे हैं।
RTI के तहत सूचना मांगने वाले कांग्रेस विधायक
मनोज रावत का कहना है कि नेता विपक्ष सबसे अधिक वेतन कटौती कर रही हैं। अब CM और मंत्री कैबिनेट की भावनाओं के अनुरूप  वेतन कटा रहे हैं या नहीं ? यह तो विधानसभा कार्यालय ही जानता होगा क्योंकि सूचना के जवाब में उसका जिक्र नहीं है।
रावत ने कहा कि भाजपा विधायक और प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान प्रेस कॉन्फ्रेंस में झूठ बोला कि कांग्रेस विधायक वेतन से कटौती कराने से बच रहे हैं। इसलिए मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या उन्होंने 30000 रुपये प्रति माह कटौती करा कर अपनी ही सरकार की कैबिनेट का अपमान नही किया?
गौरतलब है कि आमतौर पर त्रिवेंद्र सरकार मोदी और योगी सरकार के फैसलों की कॉपी करने में देर नहीं करती। उसने कोरोनाकाल में उनकी तर्ज पर पूरे साल की निधि सस्पेंड करने की बजाय वेतन में 30 प्रतिशत कटौती का निर्णय लिया था। सत्ताधारी भाजपा के दो तिहाई से ज्यादा MLA उसे मानने को भी तैयार नहीं।
वहीं, राज्य सरकार के प्रवक्ता और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने इस सम्बंध में पूछे जाने पर कहा कि हमें उम्मीद थी कि सब स्वेच्छा से कटाएंगे।  अब सरकार एक ऑर्डिनेंस लाएगी ताकि सभी विधायकों के वेतन में एक समान कटौती होगी।

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