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Uttarakhand: हरीश रावत ने गैरसैंण से आवाज लगाकर पूछा ‘भाई त्रिवेंद्र सिंह, कख च ग्रीष्मकालीन राजधानी’!

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उत्तराखंड बनने के 2 दशक बाद भी राजधानी को लेकर अजीबोगरीब हालात हैं। अभी तक स्थाई राजधानी का निर्धारण नहीं हो पाया, लेकिन ग्रीष्मकालीन राजधानी की अधिसूचना जारी हो गई। अब पूर्व मुख्यमंत्री ने हरीश रावत ने गैरसैंण  (भराड़ीसैंण)  की चोटी से आवाज लगाकर  पूछा कि भाई त्रिवेंद्र सिंह हमारी ग्रीष्मकालीन राजधानी कहां है?

दरअसल, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की अधिसूचना जारी होने के 3 महीने बाद तैयारियों की जमीनी हालात का जायजा लेने पहुंचे थे। उनके साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व उपाध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक अनुसूईया प्रसाद मैखुरी समेत वर्तमान एवं पूर्व विधायक मौजूद थे।

इस मौके पर हरीश रावत कहा कि त्रिवेंद्र रावत सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की अधिसूचना तो जारी कर दी है। लेकिन राजधानी में ढांचागत तैयारियां कहीं नजर नहीं आ रही हैं। जिसके मद्देनजर उन्हें निराशा मायूसी के अलावा कुछ नजर नहीं आया। उन्होंने कहा कि भाजपा के 3 साल के कार्यकाल में गैरसैंण के विकास के लिए नया कुछ नहीं हुआ है।

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान भराड़ीसैंण में एक अस्थायी विधान भवन के निर्माण का ऐतिहासिक फैसला हुआ था। हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते साल 2014 मेंं गैरसैंण के मैदान में टेंट-तंबू में  विधानसभा सत्र आहूत हुआ था। उसी दौरान गैरसैंण के ढांचागत विकास के लिए कई फैसले लिए गए, जिनमें एक विकास परिषद भी शामिल है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने भराड़ीसैंण का जायजा लेने के बाद कहा कि ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा होने के 3 महीने बाद आज तक कहीं उसके नाम का एक साइन बोर्ड तक नहीं लगा है। जिसके बाद उन्होंने अपने साथ मौजूद पूर्व स्पीकर और अन्य नेताओं के साथ पहाड़ की ऊंचाई से आवाज लगा कर पूछा कि ‘भाई त्रिवेंद्र सिंह, कख च हमारी ग्रीष्मकालीन राजधानी’।

उधर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। उन्हें गैरसैंण से कोई लेना देना नहीं है। अगर उन्हें कुछ करना ही था तो उन्हें मुख्यमंत्री रहते क्यों फैसला नहीं किया। त्रिवेंद्र ने कहा की उत्तराखंड की जनता को हरीश रावत जी की बातों पर अब विश्वास नहीं रह गया है।

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