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Bihar: बिना लालू-पासवान के पहले चुनाव में नीतीश की राहें होंगी आसान !

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News Front Live, Patna

बिहार (Bihar) विधानसभा की 243 सीटों के लिए 28 अक्टूबर, 3 और 7 नवंबर को मतदान होगा। तीन चरणों के मतदान के बाद 10 नवंबर को मतगणना होने के बाद जनादेश आएगा। उस रोज पता चलेगा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार की विदाई होगी या कायम रहेगी। लेकिन ये पहला मौका है जबकि राज्य में दो अहम शख्सियतें चुनावों से दूर हैं।

दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री (CM) लालू प्रसाद यादव जेल में हैं। लोक जनतांत्रिक पार्टी (LJP)  के संस्थापक और मोदी सरकार में मंत्री रहे रामविलास पासवान का हाल में निधन हो गया। आरजेडी की कमान पूर्व उपमुख्यमंत्री और लालू के पुत्र तेजस्वी यादव के हाथों में है। रामविलास की गैर मौजूदगी में उनके पुत्र चिराग पासवान एलजेपी की कमान संभाल रहे हैं।
जबकि बिहार के मौजूदा सीएम और जनता दल यूनाइटेड (JDU) सुप्रीमों नीतीश कुमार NDA का चेहरा हैं। भाजपा ने एलान कर दिया है कि सीट कम हो या ज्यादा मुख्यमंत्री वही बनेंगे। इस कड़ी में चिराग की पार्टी तो अकेले चुनाव लड़ रही है। जबकि तेजस्वी यादव congress और लेफ्ट के साथ महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। यानी उनके ‘सुशासन’ और मोदी की लोकप्रियता का मुकाबला दो युवाओं से होगा।
बिहार के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में जेडीयू को 122 और BJP को 121 सीटें मिली। जहां सीएम नीतीश कुमार जीतन राम मांझी की ‘हम’ पार्टी को अपने कोटे में एडजस्ट करेंगे। वहीं, भाजपा VIP पार्टी को अपने कोटे में से सीटें देगी। जबकि महागठबंधन में RJD को 144, कांग्रेस को 70 और लेफ्ट दल 29 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। तेजस्वी यादव JMM को अपनी पार्टी के कोटे में एडजस्ट करेंगे।
Bihar में ‘ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट’ नामक नया फ्रंट बनाया गया है। जिसमें राष्ट्रीय लोक समता पार्टी RLSP, बहुजन समाज पार्टी, देवेंद्र यादव की SJDD और ओबैसी की AIMIM शामिल हैं। आरएसएल के मुखिया उपेंद्र  कुशवाहा को गठबंधन ने अपना CM उम्मीदवार घोषित किया गया। गौरतलब है कि वह पिछले लोकसभा चुनावों से पहले NDA से अलग हुए। फिर महागठबंधन का नेता तेजस्वी को नहीं मानने के चलते उससे अलग हो गए।
दिलचस्प बात ये है कि चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर चुनावी समर में ताल ठोंकी है। मौजूदा हालात में बिहार के चुनावी समर में चतुष्कोण लड़ाई हो रही है। हालांकि कहा जा रहा है कि नीतीश को कमजोर करने के लिए BJP ने चिराग के कंधे पर हाथ रखा। आपको बता दें कि भाजपा के कई असंतुष्ट नेता पासवान की पार्टी में शामिल हुए हैं। हालांकि नीतीश की शिकायत पर भाजपा ने ताकीद किया कि पासवान मोदी का नाम इस्तेमाल नहीं करेंगे।
हालांकि एंटी इनकंबेंसी के बावजूद ‘सुशासन बाबू’ नीतीश कुमार संभावनाएं बताई जा रही हैं। जिसके पीछे मोदी की लोकप्रियता से फायदे के तर्क हैं। लेकिन चिराग के एनडीए छोड़ने से मुश्किलें जरूर बढ़ी हैं। ठीक इसी तरह तेजस्वी को CM मानने को लेकर महागठबंधन में भी टूट हो गई। अगर, त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी तो मौजूदा गठबंधन के दलों केे इधर-होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।

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