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उत्तराखंड में विधानसभा सत्र खानापूर्ति ! कांग्रेस ने सड़क पर सदन चलाया

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उत्तराखंड में विधानसभा सत्र खानापूर्ति बन कर रह गया है! वजह ये कि पिछले चार सालों में महज 62 दिन ही सदन चल पाया। जबकि एक साल में ही असेंबली में 60 दिन सत्र की कार्यवाही होनी चाहिए। त्रिवेंद्र सरकार ने शीतकालीन सत्र सिर्फ 3 दिनों के लिए आहूत किया है। सत्र की कम अवधि से सरकार के रवैये पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जिसके खिलाफ विपक्षी कांग्रेस ने सड़क किनारे विधानसभा चलाकर विरोध जताया।

उत्तराखंड में विधानसभा सत्र खानापूर्ति बना !

आपको सुनने में जरूर अटपटा लगेगा लेकिन ये है एकदम हकीकत। उत्तराखंड में साल 2017 में हुए 3 सत्रों के दौरान सिर्फ 17 दिन सदन चला। साल 2018 में आहूत हुए 3 सत्र में 18 दिन सदन चल पाया। फिर 2019 में हुए 3 सत्रों के दौरान मात्र 22 दिन सदन की कार्यवाही हुई। मौजूदा साल 2020 में हुए 2 सत्रों में कुल जमा 6 दिन ही सदन चल पाया है। ऐसे में सवाल तो खड़ा होता ही है कि राज्य सरकार में पास या तो विधायी काम नहीं। या वह सदन की कार्यवाही की रस्मअदायगी ही करना चाहती है।

 

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नाराज कांग्रेस ने सड़क किनारे चलाई विधानसभा

त्रिवेंद्र सरकार ने शीतकालीन सत्र 21 से 23 दिसंबर यानी सिर्फ 3 दिनों के लिए आहूत किया है। इस कड़ी में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी के नेतृत्व में राजधानी देहरादून में गांधी पार्क के बाहर डमी विधानसभा चलाई। जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं ने विधानसभा अध्यक्ष, मंत्री, नेता विपक्ष और सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के विधायकों का रोल अदा करते हुए राज्य के मुद्दे उठाए।

प्रकाश जोशी ने कहा कि ये विधानसभा सत्र विपक्ष के पास जनता के मुद्दे उठाने का मौका होता है। लेकिन यह बेहद शर्मनाक है कि विधायक बनने के बावजूद सत्र की बेहद कम अवधि सेे वह अपनी आवाज उठाने से महरूम हैं।

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वहीं AICC सदस्य और कांग्रेस की निवर्तमान प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि इसे उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि सरकार के पास ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा का समय ही नही है।

 

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