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Modi vs Local Issues: क्या हिमाचल में ‘मिथक’ टूट पाएगा?

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Modi vs Local Issues  हिमाचल प्रदेश में बेहद करीबी चुनावी मुकाबला दिख रहा है।

जहां बीजेपी ‘मोदी मैजिक’ के आसरे है, वहीं कांग्रेस ‘स्थानीय मुद्दों’ के सहारे रण में कूदी।

वैसे 1985 से कोई भी पार्टी सत्ता वापसी करने में कामयाब नहीं हुई।

कांग्रेस के लिए Himachal Pradesh जीतने की उम्मीदें रखने वाला प्रदेश है।

क्या उत्तराखंड की तरह भाजपा यह सिलसिला तोड़ पाएगी?

जयराम ठाकुर (Jayram Thakur) सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी है।

सीएम की उम्मीदें अपनी उपलब्धियों से ज्यादा मोदी मैजिक और कांग्रेस की गुटबाजी पर टिकी हैं।

जेपी नड्डा (JP Nadda) के गृह राज्य में  प्रत्याशियों के सामने चुनाव लड़ रहे 21 बागी बड़ी चुनौती है।

 

Modi’s litmus test in Gujarat क्या ‘एंटी इनकंबेंसी’ को हरा पाएंगे?

 

माइक्रो मैनेजमेंट की बात करें तो खुद पीएम मोदी का एक बागी प्रत्याशी को समझाते हुए वीडियो वायरल हुआ।

पिछले साल उपचुनाव में क्लीन स्वीप करके कांग्रेस  Modi vs Local Issues माहौल बनाने में सफल दिखी है।

पार्टी महंगाई, बेरोजगारी और ओल्ड पेंशन स्कीम समेत अन्य मुद्दों को लेकर जयराम सरकार पर हमलावर है।

आम आदमी पार्टी (AAP) का सीटें जीतना मुश्किल है, देखना है किसके समीकरण बिगाड़ेगी।

Congress ने हिमाचल में पार्टी का पर्याय रहे वीरभद्र की मौत के बाद उनकी पत्नी MP प्रतिभा सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया।

पहली बार पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह, शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल की त्रिमूर्ति चुनावी रण से नदारद है।

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वीरभद्र गुजर गए हैं जबकि BJP ने शांता धूमल को चुनावी राजनीति से बाहर कर दिया।

गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 44, कांग्रेस को 21 और 3 सीटें अन्य को मिलीं।

पीएम मोदी, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने आक्रामक प्रचार किया।

भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे राहुल गांधी की गैर मौजूदगी में प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के प्रचार की कमान संभाली।

 

 

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