राष्ट्रवाद जनित ‘संकीर्णता’ मानव की प्राकृतिक स्वच्छंदता एवं आध्यात्मिक विकास में बाधक- रविंद्रनाथ टैगोर
Pramod Sah पूरी दुनिया में बढ़ रहे राष्ट्रवाद ने आज मानवता के लिए अघोषित संकट खड़ा कर दिया है। मनुष्य का अस्तित्व भौगोलिक सीमाओं में कैद हो रहा है। लगता है पूर्णता एक स्वप्न ही बन गई है। यह एक संयोग है कि आज बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही 7 मई को ‘गुरुदेव’ रवींद्रनाथ टैगोर … Read more