News Front Live, New Delhi
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यों को बकाया GST मुआवजे के भुगतान करने में अपनी असमर्थता जताई है। दरअसल, Covid-19 महामारी के चलते वित्तीय वर्ष 2020-21 में जीएसटी वसूली में 2.35 लाख करोड़ रूपये की कमी का होने का अनुमान है। इस कड़ी में राज्यों को करीब 3 लाख करोड़ का मुआवजा देने है। सवाल ये उठता है कि वित्त मंत्री के क्षतिपूर्ति देने ने हाथ खड़े करने से राज्यों में गंभीर वित्तीय संकट तो खड़ा नहीं हो जाएगा?
गौरतलब है कि जीएसटी परिषद की 41वी बैठक गुरुवार को हुई थी। जिसमें कर वसूली, राजस्व घटने से पैदा हुए वित्तीय संकट से उबरने के उपायों पर मैराथन चर्चा हुई। वित्त मंत्री ने कोरोना महामारी के हालात में राज्यों को उनके जीएसटी मुआवजे की बकाया रकम अदा करने में असमर्थता जताई। उन्होंने राज्यों को बाजार से पूंजी जुटाने या फिर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से उधार लेने के 2 विकल्प सुझाये।
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सीतारमण के इस सुझाव का सभी गैर एनडीए शासित राज्यों ने विरोध किया। पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद 5 वर्षों तक क्षतिपूर्ति करना केंद्र की संवैधानिक जिम्मेदारी है। जिसपर निर्मला सीतारमण ने अटॉर्नी जनरल की कतिपय कानूनी राय का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र राज्यों को मुआवजा देना बाध्यता नहीं है। हालांकि जीएसटी दरें बढ़ाने पर कोई चर्चा नहीं हुई।
बहरहाल केंद्र के मुआवजा देने से मना करने पर संघीय ढांचे में टकराव बढ़ने के आसार हैं। GST का मुआवजा नहीं मिलने से कोरोना की मार झेल रहे राज्यों में वित्तीय संकट पैदा हो सकता है। कहने की जरूरत नहीं है कि अगर गिने-चुने राज्य छोड़ दें तो ज्यादातर में वित्तीय प्रबंधन बहुत अच्छा नहीं है। अगर केंद्र से जीएसटी क्षतिपूर्ति की बकाया रकम का भुगतान नहीं मिला तो हालात और खराब हो जाएंगे।
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(Photo: प्रतीकात्मक)
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