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Uttarakhand: हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार को आईना दिखाया या फिर अपनी कांग्रेस को !

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News Front Live, Uttarakhand

उत्तराखंड में कोरोना के बाद अब दैवीय आपदा कहर बरपा रही है। जहां एक ओर राज्य सरकार देहरादून स्थित सचिवालय से बाहर नहीं निकली। और विपक्षी कांग्रेस भी पार्टी  मुख्यालय में धरना से ऊपर नहीं उठ पाई। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ‘हरदा’ पहाड़ में आपदा ग्रस्त इलाकों में पहुंचे हैं। सवाल ये कि वह भाजपा सरकार को आईना दिखा रहे हैं या फिर खुद अपनी पार्टी क्षत्रपों को।

इस कड़ी में हरदा  पहले तो भराड़ीसैंण (गैरसैण) में  ग्रीष्मकालीन राजधानी तलाशने पहुंचे। उसके बाद भारत चीन-सीमा स्थित पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी पहुंच गए। जहां उन्होंने आपदा ग्रस्त पहाड़ी इलाकों का दौरा किया।  गौरतलब है कि रावत मुख्यमंत्री रहते हुए पूर्व में धारचूला के विधायक थे। उन्होंने पैदल भूस्खलन वाले खतरनाक रास्ते नापकर प्रभावित लोगों के बीच पहुंचकर उनका हौसला बढ़ाया।

इसके उलट उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपवाद छोड़कर मुख्यमंत्री आवास या फिर सचिवालय  तक सीमित हैं। इसी तरह प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी  मोटे तौर पर पार्टी मुख्यालय में हल्ला बोल करते रहे हैं। अगर बात नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश की करें तो वह देहरादून में पार्टी की बैठक छोड़कर अपने निर्वाचन क्षेत्र हल्द्वानी में बयान देने तक सीमित हैं।

देशव्यापी लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब अनलॉक-3 चल रहा है। कोरोना के केस 10 हजार पार होने के बाद अब बरसात में कुदरत कहर बरपा रही है। लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड में सरकार का क्वारन्टीन खत्म नहीं हो रहा।  कांग्रेस यदा-कदा जनमुद्दे लेकर सड़क पर दिखी तो मुकदमें भी ठोक दिए गए। सूबे के ‘लाटसाहब’ अफसरों ने तो मानो सचिवालय से नहीं हिलने की अघोषित कसम ही खा ली है।

सवाल ये है कि हरीश रावत ने त्रिवेंद्र सरकार को आईना दिखाया या फिर खुद अपनी पार्टी अलमबरदारों को। कहने की जरूरत नहीं है कि उनकी अतिसक्रियता भाजपा से ज्यादा खुद उनकी कांग्रेस के एक तबका असहज रहता है। बहरहाल, जब पक्ष और विपक्ष के चुने हुए प्रतिनिधि ही मुसीबत के वक्त जनता के बीच मौजूदगी से परहेज करेंगे तो बेलगाम अफसरों से तो उम्मीदें ही बेमानी है।

 

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