Kishore Upadhyay
देश की जनता मोदी जी की तरफ़ टकटकी लगाये थी कि कोरोनो महामारी की वज़ह से उत्पन्न स्थिति को देखते हुये वे गरीब,निम्न मध्यम व मध्यम वर्ग की स्थिति को देखते हुये कुछ राहत देंगे,लेकिन उनके लम्बे उबाऊ भाषण ने भारत को निराश किया,उन्होंने वो कहा, जो हर भारतीय जान रहा है।इस विभीषिका में गरीब का घर कैसे चलेगा?
उसका इलाज कैसे होगा? मास्क व सेनिटाईज़र गरीब कैसे ख़रीदेगा?जीवन रक्षक दवाईयों की व्यवस्था कैसे होगी?
लोग टैक्स व बिल कैसे भरेंगे।क़र्ज़दार अपनी किस्तें कैसे चुकायेंगे? व्यावसायिक नुक़सान की भरपाई कैसे होगी?जीवन के लिये आवश्यक वस्तुओं की
व्यवस्था कैसे होगी?
31 मार्च तक इन 11दिनों तक गरीब का चूल्हा कैसे जलेगा? आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों के साथ कुछ अनहोनी हो गयी तो वैकल्पिक योजना क्या है?
अनुमान है कि विदेश से लगभग 100000 लोग वापस आयेंगे, उनकी जाँच आदि का क्या होगा? ईश्वर न करे, अनहोनी हो जाय तो मृतकों का होगा?
प्रधानमंत्री जी ने तो सबके हाथ में घण्टा थमा दिया है।
सरकारें तो अभी जनता को यह भी नहीं बता पायी हैं कि स्थिति कितनी भयानक हो सकती है?
उत्तराखंड का तो और भी बुरा हाल है।
सब भगवान भरोसे है।
(किशोर उपाध्याय कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं और लेख में उल्लेखित उनके निजी विचार हैं)