Mining Revenue: उत्तराखंड खनन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान रिकॉर्ड 1040.57 करोड़ ₹ का राजस्व अर्जित किया है।
इतना नहीं, मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान सर्वाधिक 74.22 करोड़ रुपये की पेनल्टी भी वसूल की गई है।
गौरतलब है कि राज्य गठन से ही खनन लगातार सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच एक दूसरे आरोप प्रत्यारोप का मुद्दा रहा।
लेकिन इसके इतर विभाग ने राजस्व के मद्देनजर एक ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है।
जिससे गदगद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि खनन एक ऐसा विभाग होता था, जिस पर सबसे ज्यादा प्रश्नचिह्न खड़े होते थे। बमुश्किल 400-500 करोड़ रेवेन्यू प्राप्त होता था। बकौल धामी इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 1100 करोड़ का राजस्व हासिल हो चुका है। अगर सरकार की कोई नीति सही होती है तो उसके परिणाम देखने को मिलते हैं।
दिलचस्प बात ये है कि राजपाल लेघा के खनन निदेशालय की कमान संभालने के बाद पहली बार तयशुदा लक्ष्य 875 करोड़ से 165.57 करोड़ रुपया अधिक राजस्व मिला है।
आपको बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में 2017 में भाजपा की सरकार गठित हुई थी।
रावत के कार्यकाल साल 2017 से 2021 के दौरान करीब 1757.87 करोड़ का राजस्व अर्जित हुआ था।
जबकि मौजूदा धामी सरकार के कार्यकाल के दौरान अभी तक 2732.72 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त चुका है।
वर्ष वित्तीय लक्ष्य राजस्व प्राप्ति (₹करोड़)
2016-17 500 335.27
2017-18 620 440.13
2018-19 750 414.59
2019-20 750 396.91
2020-21 750 506.24
2021-22 750 575.01
2022-23 825 472.32
2023-24 875 645.46
2024-25 875 1040.57
यानि तुलनात्मक रूप से धामी के कार्यकाल में रावत के मुकाबले 959.85 करोड़ रूपये ज्यादा है।
इतना नहीं, मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान अभी तक 74.22 करोड़ रुपये की पेनल्टी वसूल की गई है।
जहां त्रिवेंद्र सरकार के पूरे कार्यकाल के दौरान करीब 64.1 करोड़ रुपए की पेनल्टी अर्जित की गई थी।
वहीं, धामी सरकार के कार्यकाल में अभी तक 124.1 करोड़ रुपए से ज्यादा वसूले जा चुके हैं।
जो कि राज्य गठन के बाद अवैध खनन के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के जरिए सर्वाधिक है।
निदेशक राजपाल लेघा का कहना है कि ऐसा अवैध खनन, भंडारण और परिवहन पर पर प्रभावी नियंत्रण एवं गतिमान कार्रवाई के चलते सम्भव हुआ है। ई निविदा और ई नीलामी के माध्यम से खनन पट्टों का आबंटन सुनिश्चित किया गया।
इन दोनों के बीच तीरथ सिंह रावत का चंद महीनों का कार्यकाल भी रहा।
गौरतलब है कि हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र ने लोकसभा में खनन का मुद्दा उठाकर धामी सरकार को असहज कर दिया था।
लेकिन राजस्व में रिकॉर्ड वृद्धि इस बात का संकेत है अवैध खनन पर लगाम लगाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
इस कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी कुछेक कुछ हिदायतें देने के साथ राजस्व वृद्धि पर पीठ थपथपा चुके हैं। उन्होंने जोड़ा कि अपने कार्यकाल के दौरान राजस्व वृद्धि के लिए नए रास्ते खोले जिसमें खनन को भी व्यवस्थित करके रेवेन्यू बढ़ाना भी शामिल था।
वरिष्ठ पत्रकार राहुल सिंह शेखावत का कहना है कि खनन विभाग काजल की कोठरी है। वक्त बेवक्त उस पर हमेशा ही सवाल खड़े होंगे। लेकिन राजस्व का आंकड़ा 1000 करोड़ के पार होने औऱ निर्धारित लक्ष्य के सापेक्ष 165.57 करोड़ ₹ अर्जित करना सराहनीय है।
बकौल शेखावत उत्तराखंड सरीखे छोटे राज्यों की केंद्रीय मदद पर ही ज्यादा निर्भरता रहती है। यदि खनन विभाग में रेवेन्यू बढ़ रहा है तो राज्य के विकास को रफ्तार मिलेगी। पारदर्शिता और विजिलेंस व्यवस्था पर और ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।