Rahul Singh Shekhawat
भारत और चीन के बीच लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बीते मई महीने से तनाव लगातार बना हुआ है। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मॉस्को में चीनी विदेश रक्षा मंत्री के साथ मीटिंग हुई। उन्होंने अप्रैल पूर्व की यथास्थिति कायम रखने पर जोर दिया। इस तनाव के बीच उन्होंने ईरान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान का भी दौरा किया। सवाल ये उठता है कि क्या रक्षामंत्री के रूसी दौरे से जून में हुई हिंसक झड़प के बाद बने गतिरोध को तोड़ने में सहायता मिल पाएगी?
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गौरतलब है कि इसके पहले 15/16 जून की रात को भारत और चीन की सेना के बीच लद्दाख में हिंसक झड़प हुई। गलवान घाटी में हुई वारदात में एक कमांडिंग कर्नल सहित 20 सेना के जवान शहीद हुए थे। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) चीन के साथ संघर्ष में साल 1975 के बाद 45 साल बाद पहली बार भारतीय सैनिकों की शहादत हुई थी। जिसके बाद दोनों देशों के बीच जबर्दस्त तनाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व में लेह का दौरा किया। इस कड़ी में भारत ने चीन के दर्जनों एप्स पर पाबंदी लगाई
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भारत-चीन के बीच पिछले 4 महीने से जारी भारी तनाव के हालात में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मॉस्को में अपने चीनी समकक्ष के साथ पहली बार बैठक हुई। सरकारी खबरों के मुताबिक उन्होंने चीन से अपनी सेनाएं हटाकर अप्रैल पूर्व की यथास्थिति बहाली करने पर जोर दिया। उधर, भारत ने साफ किया कि लद्दाख में सामरिक दृष्टि से अहम चोटियों में से जवानों को नहीं हटाएगा। इसके पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने चीन में अपने समकक्ष से टेलिफ़ोनिक टॉक की थी।
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गलवान में जून में हुई हिंसक झड़प के बाद हाल में सेना के अभियान में नेईमा तेनजिन के हाल में शहीद होने की खबर आई। उधर, चीफ मनोज मुकुंद नरवणे ने लेह-लद्दाख का जायजा लेने के बाद कुछ हिस्सों में हालात गंभीर बताए हैं। उन्होंने देश को भरोसा दिलाया कि भारतीय फौज चीन का मुकाबला करने में सक्षम है। इस कड़ी में सामरिक दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में फौज की तैनाती बढ़ाई गई है।
आपको बता दें कि भारत सरकार लगातार चीनी घुसपैठ से इंकार करती रही है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून की हिंसक झड़प के बाद कहा कि भारत की एक इंच जमीन या पोस्ट पर किसी का कब्जा नहीं है। उधर, पूर्व में रक्षा मंत्रालय की अधिकृत वेबसाइट में चीन के LAC पर अतिक्रमण की सूचना अपलोड की गई। लेकिन फिर नाटकीय घटनाक्रम में उसे हटा भी लिया गया।
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गौरतलब है कि गलवान घाटी में 20 सैनिकों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री ने एक सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। सभी दलों ने हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार को समर्थन दिया। इसके साथ ही मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने पूरी जानकारी नहीं देने की तोहमत लगाई। उसके बाद पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी पर लगातार हमलावर रहे हैं।
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हालांकि, लेफ्टिनेंट जनरल एवं ब्रिगेड कमांड स्तर की कई दौर की बैठकें हुईं, लेकिन अभी तक स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं आया है। अलबत्ता दोनों देश तनाव कम करने पर राजी जरूर हुए। आपको बता दें कि पहले तो चीन का जोर गलवान घाटी में था। वहीं अब पैंगोंग झील के दक्षिण इलाके में नापाक इरादों के साथ लगातार LAC पर अपना प्रभुत्व जमाने की एक्सरसाइज कर रहा है। इस कड़ी में विकास रेजिमेंट के कंपनी लीडर नेईमा तेनजिन के हाल में शहीद हुए हैं।
(Photo: साभार रक्षामंत्री FB पेज )
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