राहुल सिंह शेखावत
उत्तराखंड कांग्रेस की बागडोर संभालने के पौने तीन साल बाद प्रीतम सिंह की बहुप्रतीक्षित कार्यकारिणी घोषित हो गई। 242 सदस्यीय ‘जंबो-टीम’ में 22 उपाध्यक्ष, 31 महामंत्री, 98 सचिव और 90 आमंत्रित सदस्य शामिल हैं। साल 2016 की ‘बगाबत’ के बाद कार्यकर्ताओं का टोटा झेल रही पार्टी को नेताओं की खेप मिल गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय और नेता विपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश समेत कुल 8 मौजूदा विधायक विशेष आमंत्रित सदस्य बनाए गए हैं।
लोकसभा चुनाव हारे पूर्व मुख्यमंत्री बी सी खंडूरी के पुत्र मनीष खंडूरी समेत आधा दर्जन पूर्व मंत्रियों को विशेष आमंत्रित सदस्यों की फेहरिस्त में जगह मिली।
एक पूर्व सांसद समेत 7 पूर्व विधायक उपाध्यक्ष और 3 अन्य पूर्व विधायक महामंत्री की फेहरिस्त में शामिल हैं। जबकि विधानसभा चुनाव में ‘बगाबत’ करने वाले नेताओं पर भी ‘प्रीतम-कृपा’ बरसी है। उधर,सचिव बनाए जाने से नाराज धारचूला के विधायक हरीश धामी ने इस्तीफा देने का एलान करने में देरी नहीं की।
‘टीम-प्रीतम’ में उपाध्यक्ष का ओहदा हासिल करने वाले प्रमुख नेताओं की फेहरिस्त में नैनीताल के पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल का नाम है। पूर्व विधायक गणेश गोदियाल, विक्रम नेगी, मयूख महर, मदन सिंह बिष्ट, विजयपाल सजवाण और नारायण पाल उपाध्यक्ष बनाए गए हैं। कभी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ‘अंगद’ रहे पूर्व विधायक रणजीत रावत को भी मौका मिला है।
वहीं, तत्कालीन पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय के खिलाफ देहरादून जिले की सहसपुर सीट पर बागी होकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले आर्येन्द्र शर्मा की उपाध्यक्ष पद पर ताजपोशी हुई। दिलचस्प बात ये है कि रणजीत अब ‘हरदा ‘ से अपनी राहें जुदा कर चुके हैं। शर्मा की गिनती भी हरीश रावत विरोधी खेमे में होती है।
गौरतलब है कि शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के OSD भी रहे हैं। ‘पंचायत राजनीति’ में अच्छी पकड़ रखने वाले जोत सिंह बिष्ट और राजधानी में सक्रिय रहने वाले सूर्यकांत धस्माना उपाध्यक्ष पद पर रिपीट हुए हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हारे कमोबेश एक दर्जन प्रत्याशियों को कार्यकारिणी में एडजस्ट किया गया है।
आइए अब एक नजर डालते हैं उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के नए महासचिवों पर। इस ओहदे पर विजय सारस्वत की चिपक बरकरार है। गौरतलब है कि वह पूर्ववर्ती कार्यकारिणी में लगातार महासचिव रहे हैं। ‘एंटी-रावत’ खेमे में शुमार सारस्वत कांग्रेस में एक गुट के निशाने पर रहे हैं। प्रीतम के करीबी संजय पालीवाल भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं।
वहीं, पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल, प्रोफेसर जीतराम और ललित फर्सवाण को महासचिव बनाया गया गया है। यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजपाल खरौला, आनंद रावत और भुवन कापड़ी को मौका मिला है। जिनमें खरौला लगातार दूसरी बार महासचिव बने हैं।
दिलचस्प बात ये है कि दो बार के विधायक और दर्जा धारी कैबिनेट मंत्री रहे हरीश धामी का नाम सचिवों की लिस्ट में था। जिससे गुस्साए धामी ने बिना देरी किए अपने फेस बुक एकाउंट पर एक पोस्ट लिखकर, ना सिर्फ इस ओहदे से इस्तीफे दिया बल्कि कांग्रेस पार्टी छोड़ने तक की धमकी दे डाली।
कहने की जरूरत नहीं है कि प्रीतम सिंह-डॉ इंदिरा हृदयेश और हरीश रावत-किशोर उपाध्याय खेमों के बीच अंदरूनी खींचतान है। जिनकी पसंद अथवा नापसंद के फेर में कई ऊर्जावान नेताओं को मौका नहीं मिल पाया। इस कवायद में कुछेक जनाधारविहीन एवं प्रभावहीन नेताओं की लॉटरी खुली है।
वैसे कार्यकारिणी में रिपीट हुए आधा दर्जन से ज्यादा पूर्ववर्ती उपाध्यक्ष एवं महासचिवों की परफॉर्मेंस पर गौर करने जरूरत थी। कुछेक नाम ऐसे भी हैं जिनका ना तो चुनावी राजनीति और ना ही प्रदेश स्तरीय सक्रियता रही है। ताज्जुब है कि पूर्व कैबिनेट मंत्री और इंटक से जुड़े कद्दावर नेता हीरा सिंह बिष्ट कार्यकारिणी से बाहर हैं।
नई कार्यकारिणी में पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी की सांगठनिक कार्यों में दक्षता का लाभ भी लिया जा सकता था। अलबत्ता, बागी होकर नैनीताल जिले की कालाढूंगी विधानसभा सीट पर उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले महेश शर्मा को महामंत्री का ओहदा मिल गया। दरअसल, शर्मा नेता विपक्ष इंदिरा के करीबी हैं, जिन्हें प्रकाश फूटे मुंह नहीं सुहाते।
कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने के बाद असंतोष फैलने की आशंका के मद्देनजर हाईकमान से लिस्ट जारी हुई । लेकिन हरीश धामी के तेवरों से साफ है कि आने वाले दिनों में रार बढ़ेगी। हालांकि क्षेत्रीय एवं जातिगत संतुलन के साथ झंडाबरदारी को खासी तवज्जो दी गई है।
बहरहाल, अब ये आने वाला वक्त तय करेगा कि प्रीतम अपनी नई टीम के सहारे पस्त पड़ी कांग्रेस में कितनी जान फूंक पाएंगे।
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