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Babri Demolition केस: अडवाणी, जोशी, उमा समेत सारे अभियुक्त बरी

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News Front Live, Lucknow

CBI की विशेष अदालत Court ने अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस (Babri Masjid Demolition) केस में फैसला सुना दिया है। भाजपा (BJP) नेेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत सभी 29 नामजद बरी हो गए हैं। अदालत ने सबूतों के अभाव में 28 साल पहले मस्जिद गिराने को सुनियोजित साजिश नहीं माना। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई अदालत को 30 सितंबर तक इस केस का फैसला सुनाने को कहा था।

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कोर्ट के जज एस के यादव ने रिटायर होने से पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस के मुकदमे का फैसला सुनाया। उन्होंने अपने फैसले में कहा कि अराजक तत्वों ने मस्जिद ढ़हाई। आरोपी नेताओं ने मस्जिद तोड़ने से रोकने के प्रयास किए। फैसले के मुताबिक CBI सीबीीी के मुहैया कराए ऑडियो-वीडियो की प्रामाणिकता की जांच मुमकिन नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भाषण में आवाज भी साफ नहीं है।

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कोर्ट ने कहा कि सुनियोजित तरीके से बाबरी मस्जिद तोड़ने की घटना के सबूत नहीं मिले। लिहाजा सबूतों के अभाव में पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, पूर्व BJP अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी, UP के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह समेत अन्य सभी अभियुक्तों को दोषमुक्त किया जाता है। CBI अदालत के फैसला सुनाने के दौरान आडवाणी और जोशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े हुए थे।

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आपको बता दें कि 6 दिसंबर 1992  को कारसेवकों  ने अयोध्या में स्थित विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को गिरा दिया था। इस मामले में  लालकृष्ण आडवाणी और डॉ मुरली मनोहर जोशी समेत 49 आरोपी थे।जिनमें बाला साहब ठाकरे और पूर्व विश्व हिंदू परिषद अध्यक्ष अशोक सिंघल समेत 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इस फेहरिस्त में विष्णु हरि डालमिया और गिरिराज किशोर भी शामिल हैं।

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CBI की विशेष अदालत में चले बाबरी डेमोलिशन  केस में नामजद बाकी 32 आरोपियों के बयान हुए। उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, उमा भारती, बजरंग दल के नेता रहे विनय कटियार, साध्वी ऋतम्भरा समेत अन्य लोग शामिल हैं। इनके अलावा इस फेहरिस्त ने महंत नृत्य गोपाल दास और चंपत राय का भी नाम है।

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दिलचस्प बात यह है कि उस दौर में देशव्यापी राम मंदिर की अगुवाई  करने वाले आडवाणी और जोशी खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने बीते 24 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिए अपने बयान में कहा कि वह निर्दोष हैं। आडवाणी में कहा कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें राजनीतिक विद्वेष के तहत ढांचा गिराने के मामले में शामिल किया।

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