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चुनाव रिपोर्ट

जीतेगी BJP हारेंगे सिंधिया ! मध्यप्रदेश में कांग्रेस ‘बागियों’ को हराएगी !

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By Rahul Singh Shekhawat

जीतेगी BJP हारेंगे सिंधिया ! बेशक सुनने थोड़ा अटपटा रहा होगा।  लेकिन यही मध्यप्रदेश (MP) का सियासी सच है। राज्य में 28 सीटों पर उपचुनाव (By Election) हो रहे हैं। जिनमें 22 पर इस्तीफा देकर कमलनाथ सरकार गिराने वाले भाजपा के उम्मीदवार हैं। ये सभी कांग्रेस से बगाबत करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक हैं। अगर ये हारे तो ‘महाराज’ की भाजपा में हैसियत पर असर पड़ेगा। अगर जीत गए तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार महफूज रहेगी।

अलबत्ता, मुख्यमंत्री (CM) शिवराज सिंह चौहान के लिए खोने की संभावना अपेक्षाकृत कम हैं। वजह ये कि बीजेपी को सरकार बचाने के लिए सिर्फ 9 सीटों की जरूरत है। उधर, कांग्रेस के सामने सरकार बहाल करने की मुश्किल चुनौती है। पूर्व CM कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी का इम्तिहान है।

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मध्यप्रदेश प्रदेश में जीतेगी BJP हारेंगे सिंधिया !

राज्य में हो रहे उपचुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के सियासी भविष्य के लिए अहम है। वह अपने समर्थक कांग्रेस 22 विधायकों से इस्तीफा दिला कमलनाथ सरकार गिराने में सफल रहे। अब सिंधिया के सामने उन्हें भाजपा के टिकट पर चुनाव जिताने की बड़ी चुनौती है। ज्यादातर सीटें उनके प्रभाव वाले ग्वालियर-गुना क्षेत्र से ही हैं। BJP महाराज की ‘महत्वाकांक्षी’ नाराजगी को इस्तेमाल करके शिवराज के नेतृत्व में सरकार बनाने में सफल रही।

अब उपचुनाव के मैदान में अपने समर्थक MLA को दुबारा जितवाने का दारोमदार कहीं अधिक सिंधिया के कंधों पर है। अगर ये हारते हैं तो ना सिर्फ उम्मीदवारों बल्कि खुद महाराज की पार्टी में हैसियत तय होगी। कहने की जरूरत नहीं कि केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समेत अन्य नेता उनके प्रबल विरोधी माने जाते हैं। लिहाजा भाजपा में कद बरकरार रखने और बढ़ाने के लिए उन्हें  सिर्फ और सिर्फ जीत की दरकार है।

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CM शिवराज सिंह चौहान के पास खोने के लिए कम !

मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते 2018 में भाजपा सत्ता से बाहर हुई। लेकिन ज्योतिरादित्य की कांग्रेस से बगाबत वह मार्च में फिर मुखिया बन गए थे।लिहाजा शिवराज के नेतृत्व में ही प्रत्यक्ष रूप से मौजूदा उपचुनाव हो रहे हैं। उनके लिए ये राहत है कि सरकार बरकरार रखने के लिए सिर्फ 9 विधायक चाहिए। लिहाजा सत्ता के चलते साम-दाम-दंड-भेद के दम पर ये अपेक्षाकृत आसान लक्ष्य हासिल कर लिया जाए। बाकी सिंधिया खेमे के उम्मीदवार हारते हैं तो वह कमजोर पड़ेंगे। वजह ये कि 22 उम्मीदवार कांग्रेस के बागी यानी ‘महाराज’ खेमे के हैं।

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कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार के खिलाफ ज्योतिरादित्य ने बीते फरवरी-मार्च में बगाबत की। सिंधिया समर्थक 22 MLA के इस्तीफों के चलते सरकार गिर गई थी। कमलनाथ ने संख्याबल की कमी के चलते विश्वासमत का सामना करने से पहले राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था। उनके सामने उपचुनाव में सभी सीटें जीतकर फिर से सरकार बहाल करने की चुनौती है। इस कड़ी में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी का इम्तिहान है।

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कहने की जरूरत नहीं कि दोनों की मजबूत जुगलबंदी में सिंधिया अकेले पड़ गए थे। भले ही कांग्रेस केे लिए सत्ता वापसी असंभव ना हो, लेकिन आसान भी नहीं। कमलनाथ चुनाव प्रचार में लोगों के बीच सिंधिया की बगाबत को ‘गद्दारी’ बता रहे हैं। ताकि जज्बाती ‘विक्टिम कार्ड’ खेल कर जीत की संभावनाएं बन सकें।

(लेखक वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार हैं)

 

 

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