By Rahul Singh Shekhawat
उत्तराखंड में नए प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। सत्ताधारी भाजपा ने हाल में दुष्यंत कुमार गौतम को प्रदेश प्रभारी बनाया। इसके पहले कांग्रेस ने देवेंद्र यादव को बागडोर सौंपी थी। इन दोनों नेताओं पर उत्तराखंड में 2022 में आम चुनाव फतेह करने की जिम्मेदारी होगी। BJP के सामने सत्ता बचाने और कांग्रेस के लिए वापसी करने की चुनौती है।
गौतम अब श्याम जाजू की जगह लेंगे। पार्टी नेतृत्व ने जाजू को 2014 में प्रदेश प्रभारी बनाया। उनके कार्यकाल में BJP ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप किया था। साथ ही 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत हासिल किया।
दुष्यंत कुमार गौतम BJP के उत्तराखंड में नए प्रभारी
पार्टी सुप्रीमो जगत प्रकाश नड्डा (J P Nadda) ने संगठन प्रभारियों में फेरबदल किया है। इस कड़ी में दुष्यंत कुमार गौतम को उत्तराखंड की जिम्मेदारी मिली है। जबकि रेखा वर्मा सह प्रभारी होंगी। गौतम BJP के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।
गौतम पार्टी के वरिष्ठ नेता है और इस समय राष्ट्रीय महा सचिव हैं। वह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके हैं। राज्य सभा सांसद गौतम अब श्याम जाजू की जगह लेंगे। जबकि नव नियुक्त सह प्रभारी श्रीमती रेखा वर्मा पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
Congress ने देवेंद्र यादव को बनाया प्रदेश प्रभारी
कांग्रेस नेतृत्व पहले ही उत्तराखंड में प्रदेश संगठन प्रभारी बदल चुका है। इस कड़ी में देवेंद्र यादव को सूबे की कमान सौंपी गई। उन्हें अनुग्रह नारायण सिंह को हटाकर प्रभारी बनाया गया। यादव AICC के राष्ट्रीय सचिव हैं। वह दो बार दिल्ली के MLA रह चुके हैं। इसके पहले यादव राजस्थान के सहप्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। देवेंद्र यादव के सामने उत्तराखंड में पार्टी की गुटबाजी पर काबू रखना सबसे बड़ी चुनौती है।
गौरतलब है कि कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के गुटों में बंटी है। नेता विपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश की प्रदेश अध्यक्ष के साथ जुगलबंदी है। पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की दिलचस्पी पार्टी की बजाय वनाधिकार आंदोलन में ज्यादा रहती है। बतौर प्रभारी पहले उत्तराखंड दौरे में देवेंद्र यादव हाईकोर्ट के CM त्रिवेंद्र से जुड़े कथित भ्रष्टाचार की CBI जांच मुद्दे पर सबको साधने में कामयाब हुए थे।
प्रभारियों के सामने मिशन-2022 फतेह करने की है मुश्किल चुनौती !
कहने की जरूरत नहीं है कि उत्तराखंड में 2022 में आम चुनाव होगा। मौजूदा विधानसभा में भाजपा की 57 और कांग्रेस की 11 सीटें हैं। जनता को प्रचंड बहुमत वाली त्रिवेंद्र सरकार से उम्मीदें भी बहुत ज्यादा हैं। लिहाजा गौतम के लिए एंटी इंकंबेंसी से बचाते हुए, पुराने प्रदर्शन को दोहराने की मुश्किल चुनौती है।
कहने की जरूरत नहीं है कि भाजपा कार्यकर्ताओं में त्रिवेंद्र की कार्यशैली को लेकर असंतोष रहा है। एक पूर्व मंत्री लाखी राम जोशी ने तो उन्हें हटाने की मांग को लेकर बकायदा PM नरेंद्र मोदी को खत लिख दिया। लेकिन विपक्ष के तौर पर बिखरी कांग्रेस राज्य सरकार को घेरने में कमोबेश नाकाम रही। लिहाजा गौतम की आस मोदी की कथित लोकप्रियता और मजबूत संगठन पर टिकी होंगी।
आपको बता दें कि विजय बहुगुणा के नेतृत्व में साल 2016-17 के दौरान 9 MLA भाजपा में चले गए थे। लेकिन कांग्रेस का लचर प्रदेश नेतृत्व उनका विकल्प तैयार नहीं कर पाया। हरीश रावत अपनी सरकार का असफल ‘तख्तापलट’ करने वाले बागियों की सीधे वापसी के पक्ष में नहीं हैं। इन हालात में बतौर प्रभारी देवेंद्र यादव को गुटबाजी से पस्त कांग्रेस की सत्ता वापसी के लिए ‘संजीवनी’ खोजनी होगी।
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