Trendingउत्तराखंडचुनाव रिपोर्ट

हरीश रावत मांगे CMचेहरा ! कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा या गुटबाजी !

×
Latest Posts

News Front Live, Dehradun

हरीश रावत मांगे CMचेहरा ! भले ही उत्तराखंड कांग्रेस में गुटबाजी के इलाज का नुस्खा तो ईजाद नहीं हो पाया हो।  लेकिन 2022 चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने का राग छिड़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश ने मिशन 2022 फतेह करने के लिए चुनाव पूर्व ‘सेनापति’ घोषित करने की मांग बुलंद की। उनके इस दाव से उत्तराखंड कांग्रेस में हलचल बढ़ना भी लाजमी है। सवाल ये है कि क्या इसे प्रीतम-इंदिरा गुट की घेराबंदी और प्रभारी के बागियों की वापसी के बयान पर पलटवार तो नहीं !

तो हरीश रावत मांगे CMचेहरा !

उत्तराखंड के पूर्व CM हरीश रावत ने AICC के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को ट्वीट करके 2022 चुनाव के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग की है।

“देवेंद्र_यादव जी, आपके बयान ने मेरा मान बढ़ाया। हरीश रावत ही क्यों! प्रत्येक नेता व कार्यकर्ता के बिना 2022 की लड़ाई अधूरी है, पार्टी को बिना लाभ-लपेट के 2022 के चुनावी रण का सेनापति घोषित कर देना चाहिये, पार्टी को यह भी स्पष्ट कर देना चाहिये कि कांग्रेस की विजयी की स्थिति में वही व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री भी होगा। उत्तराखंड, वैचारिक रूप से परिपक्व राज्य है। लोग जानते हैं, राज्य के विकास में मुख्यमंत्री की क्षमता व नीतियों का बहुत बड़ा योगदान रहता है।

Read  कांग्रेस में गंभीर नेतृत्व संकट, कैसे बचेगा वजूद?

हम चुनाव में यदि अस्पष्ट स्थिति के साथ जायेंगे तो यह पार्टी के हित में नहीं होगा, इस समय अनावश्यक कयास बाजियों तथा मेरा-तेरा के चक्कर में कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है एवं कार्यकर्ताओं के स्तर पर भी गुटबाजी पहुँच रही है। मुझको लेकर पार्टी को कोई असमंझस नहीं होना चाहिये, पार्टी जिसे भी सेनापति घोषित कर देगी मैं उसके पीछे खड़ा रहूँगा। राज्य में कांग्रेस को विशालतम अनुभवि व अति ऊर्जावान लोगों की सेवाएं उपलब्ध हैं, उनमें से एक नाम की घोषणा करिये व हमें आगे ले चलिये।”

देवेंद्र यादव बोले थे रावत के बिना लड़ाई अधूरी लेकिन….

दरअसल, AICC के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने हालिया दौरे में कहा था कि हरीश रावत के बिना उत्तराखंड में लड़ाई अधूरी है। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अगर कोई बागी कांग्रेस वापसी की इक्छा जताता है तो उसके ट्रैक रिकॉर्ड पर गौर करके विचार किया जाएगा। इस कड़ी में रावत अपनी सरकार को गिराने का दुस्साहस करने वाले तत्कालीन बागी विधायकों को ‘रूठे हुए’ कहने पर एतराज जता चुके हैं। जबकि प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम और नेता विपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश बागियों के कंधे पर रखकर  रावत की चुनाव से पहले घेराबंदी में जुट गए हैं। माना जा रहा है कि सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी हरीश रावत ने उसकी काट के तौर प्रीतम-इंदिरा और यादव को गियर पर लिया है।

Read  तो सोनिया गांधी का विकल्प शरद पवार हैं !

Comment here