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Congress wins Karnataka राहुल की विजयी ‘यात्रा’, मोदी बेअसर हैं! 

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(Congress wins Karnataka) राहुल गांधी की पैदल भारत जोड़ो यात्रा से एकजुट हुई कांग्रेस को कर्नाटक में जीत के तौर मिला है। अगर ऐसा है तो फिर चुनावी सफलता की गारंटी बने ‘ब्रांड मोदी’ के फीका पड़ने की आहट तो नहीं है!

By Rahul Singh Shekhawat

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल कर दिया है। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद उसे पहली जीत हासिल हुई। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव अभियान लीड लिया। यूपी के मुख्यमंत्री योगी और असम के ‘बड़बोले’ सीएम हिमंत बिश्व सरमा समेत केंद्रीय मंत्रियों की फौज ने जबर्दस्त प्रचार किया। इसके बावजूद बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी इकलौती सरकार नहीं बचा पाई। मतदाताओं ने बजरंगबली, अजान, हिजाब सरीखे सांप्रदायिक मुद्दों समेत समान आचार संहिता को नकार दिया।

Congress wins Karnataka एकजुट कांग्रेस के सामने बीजेपी धराशाही!

कांग्रेस ने कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा में 43 फीसदी वोट शेयर के साथ 135 सीटें जीती। जोकि राज्य में पिछले साढ़े तीन दशकों में सबसे बड़ा बहुमत है। आधा प्रतिशत वोट शेयर के नुकसान के साथ बीजेपी के 66 विधायक निर्वाचित हुए। जबकि जनता दल (सेक्युलर) साढ़े चार फीसदी शेयर गंवाते हुए 19 सीटों पर सिमट गया। वहीं दो निर्दलीय समेत अन्य को 4 सीटें मिलीं। दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस ने ‘तटीय’ इलाकों को छोड़कर राज्य के हर इलाके में वोट हासिल किए।

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कांग्रेस ने न सिर्फ दलित, मुस्लिम, ओबीसी बल्कि बीजेपी के परंपरागत लिंगायत और एचडी देवगौड़ा के बोक्कलिंगा वोट बैंक में अच्छी खासी सेंधमारी की। दरअसल, कांग्रेस ने जनता के उन मुद्दों उठाया जिन्हें मोदी युगीन भाजपा धार्मिक धुव्रीकरण और कथित राष्ट्रवाद की आड़ में अनदेखा करती आ रही है। कांग्रेस बासवराज बोम्मई सरकार पर ’40 प्रतिशत कमीशन’ गवर्मेंट का लेबल चस्पा करने में सफल रही। वहीं महंगाई, बेरोजगारी और स्थानीय ‘नंदिनी दूध’ सरीखे मुद्दें असरदार रहे। कांग्रेस ‘5 गारंटी’ देकर  युवा, महिला और गरीबों को साधने में कामयाब हुई है।

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राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की पहली विजय!

गाैरतलब है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को कर्नाटक में जबर्दस्त रिस्पांस मिला था। साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गृह राज्य है। जिसके चलते कांग्रेस पूरे आत्मविश्वास से लबरेज थी। पार्टी संगठित और योजनाबद्ध तरीके से चुनावी रण में नजर आई। नेतृत्व जुझारू प्रदेश अध्यक्ष डी के शिवकुमार और लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया एकजुटता प्रदर्शित करने में सफल रहा। कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ जनता का मूड भांपते हुए उसके अंतर्मन से जुड़े मुद्दों पर फोकस किया। राहुल- प्रियंका और खड़गे ने आक्रामक प्रचार करते हुए राज्य सरकार और मोदी को कटघरे में खड़ा करने में सफल रहे।

बीजेपी दक्षिण भारत मुक्त हुई!

कहने की जरुरत नहीं है कि बीजेपी ने कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों को तोड़ येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। फिर उन्हें हटाकर बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया, जिनके खिलाफ जबर्दस्त एंटी इनकंबेंसी थी। पूर्व सीएम जगदीश शेत्तार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी समेत कई अन्य एमएलए के कांग्रेस में शामिल हो गए। जो चुनावी हवा बदलने में मददगार रहा। मोदी- शाह को नापसंद येदियुरप्पा को पैदल किए जाने लिंगायत समाज पहले से ही नाराज था। बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष अपने गृह राज्य में असफल साबित हुए। Congress wins Karnataka

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कर्नाटक को दक्षिण भारत का द्वार कहा जाता है। जहां बीजेपी ने जोड़ तोड़ के सहारे दूसरी बार सरकार बनाई थी। ‘हिंदी बेल्ट’ में अपना शिखर छू चुकी पार्टी के विस्तार की गुंजाइश दक्षिण में बचती थी। हालांकि यह भी तथ्य है बीजेपी सबसे बड़ा दल जरूर बनी लेकिन पूर्ण बहुमत कभी नहीं मिला। लेकिन मौजूदा हार से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पांव पसारने के उसके मंसूबों पर पानी फिरेगा। यूं भी बीजेपी के लिए केरला और तमिलनाडू की सियासी उपजाऊ नहीं हैं। उधर, 2024 के लोकसभा से पहले राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं। जिसके मद्देनजर बीजेपी के लिए कर्नाटक की हार बड़ा झटका है।

ब्रांड मोदी फेल, राहुल गांधी मॉडल पर मुहर?

इन तथ्यों की रोशनी में मान लिया जाए कि राहुल गांधी की पैदल भारत जोड़ो यात्रा का पहला फल कांग्रेस को कर्नाटक में जीत के तौर मिला है! अगर ऐसा है तो फिर चुनावी सफलता की गारंटी बने ‘ब्रांड मोदी’ के फीका पड़ने की आहट तो नहीं है! बहरहाल, मोदी शाह युग में एक के बाद एक हार को पीछे छोड़ लगातार दूसरी बड़ी जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी जरूर है।

(लेखक वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार हैं)

Photo: Inc/FB Page

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