Jaipur
कांग्रेस हाईकमान मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगाबत के बाद कमल नाथ सरकार को गिरने से बचाने के प्रयासों में जुट गया है। जहां एक ओर कांग्रेस ने अपने विधायकों को खरीद फरोख्त से बचाने को जयपुर भेज दिया। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक को मोर्चे पर लगाया गया है।
गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के बाद उनके समर्थक 22 विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा अभी और विधायकों पर डोरे डाले जा रहे हैं। कांग्रेस ने अपने विधायकों को टूट फूट से बचाने के लिए पार्टी शासित राजस्थान भेज दिया। जिन पर नजर रखने या फिर कहें कि समझने के लिए कांग्रेस के दो कद्दावर नेताओं को मोर्चे पर लगाया गया है।
अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक जयपुर पहुंच गए हैं। जो कि मध्यप्रदेश के कांग्रेस विधायकों से संवाद और समन्वय करेंगे। ताकि सिंधिया की बगाबत और भाजपा में शामिल होने के बाद विधायक दल में और टूट फूट ना हो। इस कड़ी में गांधी ने अपने विश्वासपात्र अशोक गहलोत शासित राजस्थान विधायकों को महफूज रखने के लिए चुना।
गौरतलब है कि हरिश रावत खुद उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रहते 2016 में ऐसी स्थिति का सामना कर चुके हैं। जब कांग्रेस के 9 विधायकों ने बजट पास होते वक्त उनकी सरकार के खिलाफ विद्रोह करके सरकार गिराने को कोशिश की थी। लेकिन रावत ने पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ते हुए विधानसभा में बहुमत हासिल करके अल्पमत सरकार को गिरने से बचा लिया था।
जिसकी रोशनी में कांग्रेस नेतृत्व ने हरीश रावत के अनुभव पर भरोसा जताते हुए उन्हें जयपुर भेजा गया है। ताकि बड़े संकट में घिरी कमलनाथ सरकार को गिरने से बचाने की अंतिम कोशिशें की जा सके। हालांकि जिस तादाद में सिंधिया समर्थक विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं, उसमें बहुमत जुटाना टेढ़ी खीर है। लेकिन, पिछले साल कर्नाटक में कुमार स्वामी सरकार के खिलाफ कांग्रेस विधायकों के विद्रोह से इतर इस बार कांग्रेस हाईकमान ने अपने तजुर्बेकार रावत और वासनिक सरीखे नेताओं को मोर्चे पर लगाया है।
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